दुमका/ Mohit Kumar मंगलवार को वीर कुंवर सिंह चौक स्थित मां भवानी दुर्गा मंदिर में महाराणा प्रताप की जयंती मनाई गई. मातृभूमि की रक्षा के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर करने वाले महान पराक्रमी योद्धा, क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया.
विदित हो कि 9 मई 1540 ई. को मातृभूमि के महानतम योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था. महाराणा ने न केवल मुगलों को आगे बढ़ने से रोका बल्कि उन्हें पीछे हटने, यहां तक कि हजारों की तादाद में आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया. देवर/ दीवेर में 1582 की लड़ाई में केवल 16,000 की सेना के साथ, जिसमें घुड़सवार और पैदल सेना शामिल थी, महाराणा ने न केवल मुगलों को हराया बल्कि उनके 36,000 सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया.
1582 में विजयादशमी (दशहरा) के दिन देवर की लड़ाई शुरू हुई. उन्होंने अपनी सेना को दो समूहों में विभाजित किया. एक इकाई का नेतृत्व स्वयं और दूसरे का उनके पुत्र अमर सिंह ने किया. इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व अकबर के चाचा सुल्तान खान ने किया था. महाराणा और उनकी सेना ने कुम्भलगढ़ से लगभग 40 किमी उत्तर पूर्व में स्थित देवर गांव में मुगल चौकी पर हमला किया. देवर की लड़ाई के दौरान जब अमर सिंह ने मुगल सेनापति सुल्तान खान पर भाले से हमला किया था. भाले ने उसके शरीर और घोड़े दोनों को जमीन में पटक दिया. प्रहार इतना भीषण था कि मुगल सेना का कोई भी सैनिक उसके शरीर से भाला नहीं निकाल सका. देवर के युद्ध की एक और यादगार घटना थी जब महाराणा प्रताप ने मुगल सेनापति बहलोल खान को काट डाला और उसके घोड़े के दो टुकड़े हो गए. अपने साथी सैनिकों को लहूलुहान देखकर मुगल के शेष 36,000 सैनिको ने महाराणा प्रताप के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
मंगलवार को दुमका के वीर कुंवर सिंह चौक स्थित मां भवानी दुर्गा मंदिर में वरिष्ठ समाजसेवी ठाकुर श्याम सुंदर सिंह के नेतृत्व में आयोजित महाराणा प्रताप जयंती समारोह में श्यामल किशोर सिंह, परमेश्वर सिंह (कोलकाता), राजकिशोर सिंह (छपरा), पंकज पल्लव (कोलकाता), राकेश सिंह (पटना), किशोर सिंह, मिथिलेश झा, राजेश झा, डॉ मुकुल कुमार सिंह, संदीप जय बमबम सहित कई गणमान्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.