चक्रधरपुर/ Ashish Kumar Verma उरांव सरना समिति चक्रधरपुर द्वारा शुक्रवार को बनमालीपुर पेल्लो टुंगरी स्थित सरना स्थल में जेठ जतरा का आयोजन किया गया. बता दें जतरा त्यौहार उरांव समुदाय का ऐतिहासिक त्योहार है. इस त्यौहार को विजय का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
मान्यता है कि जब रोहतासगढ़ जो उरांव समुदाय का सुसम्पन्न साम्राज्य था, उस समय के उरांवों के राजा उरूगन ठाकुर हुआ करते थे. राज्य की खुशहाली एवं संपन्नता को देखकर विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा राज्य को अपने अधीन कब्जा करने की नियत से तीन बार आक्रमण किया गया. परन्तु तीनों ही बार उन आक्रमणकारियों को पराजय का सामना करना पड़ा. इन तीनों युद्ध में दुश्मनों को पराजित करने में महिलाओं का ही विशेष योगदान रहा. सभी महिलाएं लड़कों के वेष में युद्ध की थीं.
महिलाओं द्वारा तीन बार विजय प्राप्त करने के बाद विजय का प्रतीक मानकर जीत के उपलक्ष्य में जतरा त्यौहार मनाया जाने लगा. त्यौहार में जिस ध्वज का उपयोग किया जाता है (जो नीले रंग की होती है) उस ध्वज के बीच में सफेद वृताकार के बीच तीन सफेद लकीर आज भी जीत के प्रतीक का चिन्ह मौजूद है.
जतरा में समिति के पदधिकारी, बुद्धिजीवी, समाजसेवी, उरांव टीचर ग्रुप, युवा समाजसेवी, अध्यक्ष रंजीत तिर्की, उपसचिव चंद्रनाथ लकड़ा (बबलू), कोषध्यक्ष विमल खलखो, उप कोषध्यक्ष जयद्रथ बारहा, पाहन सोमरा टोप्पो, मंगरा कोया, सलाहकार जीतू उरांव, सोमा उरांव, संचा टोप्पो, लखन तिर्की, सूरज टोप्पो के साथ सभी ग्रामीण उपस्थित हुए.