सरायकेला: पद्मश्री छुटनी महतो पिछले दो दिनों से बीमार हैं. उन्हें पायरलाइसिस का अटैक आया है. उनके चेहरे का एक हिस्सा टेढ़ा हो गया है और आवाज लड़खड़ा रहा है. मंगलवार को छुटनी महतो के पुत्र अतुल महतो ने इसकी जानकारी दी. इसकी जानकारी ट्वीटर के माध्यम से उपायुक्त सरायकेला, मंत्री चम्पई सोरेन, मंत्री बन्ना गुप्ता, पीएमओ को दी गई. जिसके बाद सभी ने ट्वीटर पर छुटनी महतो के ईलाज हेतु उपायुक्त को संज्ञान लेने का निर्देश दिया.
वहीं उपायुक्त के आदेश पर गम्हरिया प्रखंड विकास पदाधिकारी मारुति मिंज एवं सीओ मनोज कुमार छुटनी महतो के बीरबांस स्थित आवास पहुंचे और बीमार छुटनी का हाल जाना. दोनों अधिकारी बुधवार को छुटनी को टीएमच ले जाने का भरोसा दिलाकर चलते बने. हैरान करने वाली बात ये है कि इस दौरान उनके साथ स्वास्थ्य विभाग से कोई नहीं था, जो ये बता सके कि छुटनी महतो को आखिर हुआ क्या है. इसे महज खानापूर्ति ही कहा जा सकता है.
*पद्मश्री सम्मान का क्या औचित्य ?*
हैरान करनेवाली बात ये है कि पद्मश्री छुटनी महतो के पास खुद के ईलाज के लिए पैसे नहीं हैं, जो यह बताने के लिए काफी है कि पद्मश्री सम्मान लेकर भी छुटनी तंगहाली की जिंदगी जी रही है. हर कोई अपने कार्यक्रमों में पद्मश्री छुटनी महतो को बुलाकर खुद को गौरान्वित महसूस करते हैं. उनके अनुभव सुनते- सुनाते हैं, मगर छुटनी के लिए कोई आर्थिक सहयोग करने आगे नहीं आते. छुटनी के तीन पुत्र हैं, इनमें से एक पारा शिक्षक है, जबकि दो पुत्र औद्योगिक इकाइयों में काम कर अपना और अपने परिवार का भरण- पोषण करते हैं. सवाल कुड़मी समुदाय के रहनुमाओं पर भी उठ रहे हैं. हाल के दिनों में कुड़मी समाज के कई कार्यक्रमों में छुटनी ने मंच साझा किए हैं. मगर छुटनी को आर्थिक संबल कैसे मिले इस दिशा में किसी ने पहल नहीं की.