सरायकेला/ Pramod Singh छऊ कला केंद्र के पूर्व निर्देशक तपन पटनायक के खिलाफ मोर्चाबंदी तेज होने लगी है. छऊ कलाकारों ने प्रशासन द्वारा आयोजित छऊ महोत्सव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. सरायकेला के सभी छऊ कलाकार 13 अप्रैल को अलग से चैत पर्व मनाएगा.
सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के सचिव सुदीप कवि ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आवाहमान काल से किसी भी क्षेत्र का कला, साहित्य, संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने की जिम्मेवारी वहां पर रहनेवाले लोगों का ही होता है. आनुषांगिक व्यवस्था उसके विकास और संवर्धन के लिए मददगार ही होता है. सरायकेला जैसे छोटे से कस्बे में समर अभ्यास कला कालक्रम में राजघरानों के संवर्धन से विगत पांच सौ वर्षों से इस मिट्टी पर जन्में मृधन्न गुणी कलाकारों और उस्तादों के कोशिश से आगे बढ़ता गया. आज से करीब सौ साल पहले युगजन्मा स्वर्गीय कुंअर विजय प्रताप सिंह देव के कला अवधारणा ने छऊ कला को शास्त्रीयता से ओतप्रोत शैली में परिवर्तित कर विश्व रंगमंच में सरायकेला छऊ नृत्य को एक विशेष स्थान का अधिकारी बना कर कला जगत में एक पहचान बनाया है. सरायकेला के लिए छऊ ही परिचय है और जीवन वेद का ओंकार भी है.
सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन इस बात की गंभीरता को समझती है कि जन- जन की आस्था और उमंग का उत्सव चैत पर्व सरायकेला के लोगों के लिए क्या महत्व रखता है. परिस्थितियों का बदलना कालचक्र की नियति है.
एक नई सोच के साथ छऊ (परंपरा, संस्कृति, कला और कलाकार) के उत्थान की बात को गंभीरता से विचार कर इस पर्व को सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के प्रयास से नये सिरे से एक आधार देने के लिए सरायकेला छऊ प्रेमी जनता के आशानुरूप जेल रोड बजरंगबली चौक के समीप मैदान में 13 अप्रैल
को रात आठ बजे से धार्मिक अनुष्ठानों के साथ पारंपरिक चैत पर्व 2023 मनाने का निर्णय लिया है. उन्होंने सभी कलाकारों, दर्शकों और सरायकेला वासी से अपील किया है कि उपस्थित होकर कार्यक्रम के सफल आयोजन में साथ दे .