चांडिल: सरायकेला- खरसावां जिला के चांडिल अनुमंडल में कानून का दो रंग देखने को मिल रहा है. अक्सर गरीब और कमजोर तबके के लोग कहते सुने जाते हैं कि कानून सबके लिए बराबर नहीं है. चांडिल अनुमंडल में इसका प्रमाण हालिया घटित दो घटनाओं में साफ देखने को मिल रहा है.
कहते हैं कि कानून भी अमीर और गरीब में भेदभाव करती हैं, कमजोर पर कानून लागू होती हैं और अमीर तथा प्रभावशाली लोगों के आगे कानून नतमस्तक हो जाता है. क्या यह कथन सही है ? शायद नहीं, क्योंकि संविधान में वर्णित कानून सबके लिए बराबर ही कहा गया है. यह तो कानून के रखवाले ऐसा परिस्थिति उत्पन्न करते हैं, जिससे आम जनता, गरीब, शोषित वर्ग यह मान लेते हैं कि कानून अमीर और गरीब लोगों के लिए अलग अलग है. जबकि ऐसा नहीं है.
चांडिल थाना क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानने के बाद हर कोई आश्चर्य है. जहां पुलिस की भूमिका और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
विदित हो कि पिछले 11 जनवरी को सैकड़ों लोगों द्वारा चांडिल थाना क्षेत्र के बिरिगोड़ा में नेशनल हाईवे पर टायर जलाकर सड़क जाम किया गया था. इसको लेकर चांडिल पुलिस ने स्वयं द्वारा किए गए वीडियोग्राफी के आधार पर सड़क जाम करने वालों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के साथ एफआईआर दर्ज किया है, लेकिन पुलिस उक्त मामले को रफा- दफा करने की फिराक में है. बताया जा रहा है कि सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में पुलिस ने अबतक सड़क जाम के आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की, जबकि, साधारण मामलों में पुलिस आरोपियों के घरों में दबिश देती हैं.
*जानें क्या है पूरा मामला*
विदित हो कि पिछले 10 जनवरी को नाटकीय ढंग से स्थानीय दिलीप महतो स्वयं छिप गया था. उसने अपने मोबाईल को स्विच ऑफ किया था और अपने स्कोर्पियो को हाइवे किनारे छोड़कर छिप गया था. इधर, स्थानीय लोगों ने अपहरण की आशंका व्यक्त करते हुए उसकी खोजबीन शुरू कर दी. वहीं, पुलिस भी खोजबीन में जुट गई थी. अगले दिन 11 जनवरी को लोगों ने दिलीप महतो की बरामदगी की मांग लेकर चांडिल थाना क्षेत्र के बिरिगोड़ा में नेशनल हाईवे पर टायर जलाकर सड़क जाम कर दिया था. बताया जाता है कि दिलीप महतो बिल्कुल सुरक्षित था, इसकी जानकारी उन लोगों को भी थी जो सड़क जाम में शामिल थे. इसके बावजूद पुलिस को परेशान किया गया था. पुलिस के ऊपर तरह- तरह के लांछन लगाए जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने भी मामले का 48 घंटे से पहले ही उद्भेदन कर दिया. 12 जनवरी को पुलिस ने दिलीप महतो को धालभूमगढ़ से बरामद कर लिया. इसके बाद दिलीप महतो के नाटक का खुलासा होने पर पुलिस प्रशासन को मैनेज करने वाला गिरोह सक्रिय हो गया. दिलीप महतो ने स्वयं के डिप्रेशन में होने का हवाला देकर स्वयं को बचा लिया. सूत्र बताते हैं कि उसे बचाने में सत्ता पक्ष के नेताओं ने भी अहम भूमिका निभाई है. इधर, दिलीप महतो के बरामदगी की मांग लेकर नेशनल हाईवे पर जाम लगाने वाले 22 नामजद समेत डेढ़ सौ अज्ञात लोगों के विरुद्ध चांडिल थाना में एफआईआर दर्ज किया गया है. यह एफआईआर कोई और नहीं, बल्कि पुलिस ने स्वयं किया है. सड़क जाम के दौरान मौजूद पुलिस ने स्वयं ही वीडियोग्राफी किया था और उसी वीडियो फुटेज के आधार पर गैर जमानती धाराओं के साथ एफआईआर दर्ज किया गया है. लेकिन अब तक पुलिस ने नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास नहीं किया है. यह क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.
*इन लोगों पर हुआ है एफआईआर*
मामले में पुलिस द्वारा बनाए गए वीडियो क्लिप के आधार पर हिकीम चंद्र महतो, खगेन महतो, विष्णु कुमार, संटू महतो, मनोज महतो, कैलाश महतो, आदित्य महतो, प्रह्लाद महतो, मधुसुदन दास, चुका महतो, झाड़ प्रमाणिक, चंदन राय, विश्वजीत महतो उर्फ बापी, तारकनाथ महतो, विभूति महतो, प्रदीप कुमार महतो, अजय महतो, नगेन महतो, अजय महतो, खिरधर महतो, खुट्ट, देव गोराई समेत अन्य 100 से 150 अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. इन लोगों पर धारा 341, 342, 147, 149, 150, 151, 152, 153, 323, 353, 504 एवं 120 (b) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है.
*महंत विद्यानंद सरस्वती एवं उनके गुंडों पर चुप्पी क्यों !*
इसी तरह की घटना बीते 16 फरवरी को घटित हुई थी. जहां पारडीह काली मंदिर के महंत विद्यानंद सरस्वती ने अपने समर्थकों के साथ पाटा टोल प्लाजा के कर्मियों की बेरहमी से पिटाई की थी. यहां तक की महंत के गुंडों ने पूरे टोल प्लाजा को तहस- नहस कर दिया था. इसके पर्याप्त साक्ष्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर अन्य कई प्लेटफार्म पर उपलब्ध है. बावजूद इसके पुलिस- प्रशासन ने अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है. इस बाबत पूछे जाने पर थाना प्रभारी द्वारा नपा तुला जवाब दिया जाता है. सवाल यह उठता है कि जब बिरीगोडा मामले में 341, 342, 147, 149, 150, 151, 152, 153, 323, 353, 504 एवं 120 (b) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है, तो पाटा टोल प्लाजा मामले में क्यों नहीं ? इससे साफ प्रतीत होता है कि सरायकेला- खरसावां जिला के चांडिल अनुमंडल में कानून के दो रूप हैं. जिसका खामियाजा सिर्फ और सिर्फ गरीबों और मजलूमों को उठाना पड़ रहा है. रसूखदार आज भी कानून के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.