जमशेदपुर (Manoj Rajak) गुरुवार को द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जमशेदपुर पहुंचे. जहां जुगसलाई के शिवा रेसिडेंसी में पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उन्होंने धर्म परिवर्तन, हिंदुत्व और राजनीति पर अपनी बेबाक प्रतिक्रिया व्यक्त की.
धर्म परिवर्तन हमारी कमजोरी: शंकराचार्य
शंकराचार्य ने धर्म परिवर्तन को हमारी कमजोरी और परिवर्तन कराने वालों का अज्ञान करार दिया. उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन कराने वाले अज्ञानी है और हमारी कमजोरी है. जो शासन में है और जो धनी लोग है वे धनी लोगों को ही धन देते है, गरीबों के बीच जाकर काम नही करते है. जो एनजीओ आदिवासी क्षेत्रों में काम करते है उनके लिए विदेशों से जो सहायता आ रही है उसमे इनकम टैक्स और जीएसटी की छूट दी जा रही है. इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए कि यह राशि सेवा के लिए आ रही है या धर्म परिवर्तन के लिए आ रही है. शास्त्रों के अनुसार धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता.
सरना धर्म कोड राजनीति से प्रेरित मांग
शंकराचार्य ने बताया कि कुछ आदिवासी राजनीति से प्रेरित होकर सरना धर्म कोड की ऐसी मांग कर रहे है. आदिवासी और वनवासी मूल भारतवासी है और हिंदू ही है. उन्होंने कहा वे यहां आने से पहले आदिवासियों से मुलाकात की है. वे जहां भी गए वहां आदिवासियों द्वारा मंदिर बनाए गए थे. जहां वे लोग पूजा करते है. उन्होंने उनसे भी पूजा कराई.
हिन्दू कौन
शंकराचार्य ने कहा कि गाय में जिसकी भक्ति है, ओमकार जिसका मूल मंत्र है, पुनर्जन्म में जो विश्वास रखता है और माता- पिता की जो पूजा करता है वहीं हिंदू है.
केंद्र सरकार पर
शंकराचार्य ने केंद्र सरकार की कार्यशैली पर संतुष्टि जताते हुए कहा देश का विकास हो रहा है. पहले की तुलना में देश आगे बढ़ रहा है. धारा 370 और राम मंदिर मुद्दे का निराकरण हुआ है. देश सनातन धर्म प्रधान देश है. ऐसे में बहुमत को मानकर जो काम होना चाहिए उसे स्वीकार करनी चाहिए. कानून के तहत देश में रहने का सभी को मौलिक अधिकार है, मगर सनातन धर्म को आधार मानकर योजनाएं बननी चाहिए.