ईचागढ़ (Bidhyut Mahato) विधायक सविता महतो ने जंगली हांथी द्वारा फसल व लोगो के मकान क्षतिग्रस्त किए जाने का मामला विधानसभा के पटल पर रखा. इस दौरान विधायक ने कहा ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के सभी प्रखंडों के लोग जंगली हाथियों के आतंक से प्रभावित हैं तथा आए दिन जंगली हाथियों द्वारा घरों को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है. साथ ही फसल- अनाज की बर्बादी और बेगुनाह ग्रामीणों की जान लेने की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है. जिसपर आंशिक उत्तर देते हुए राज्य सरकार द्वारा हाथी से अनाज एवं फसल की बर्बादी पर अनाज मद से प्रति क्विंटल 1600 एवं फसल मद में एक एकड़ पर 8000 मकान घरों के नुकसान पर क्रमशः 10 हजार, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त होने पर 20 हजार एवं कच्चा मकान क्षतिग्रस्त होने पर 40 हजार रुपये की मुआवजा राशि दी जाती है.
कहा गया कि जंगली हाथियों को झारखंड राज्य प्रवेश सीमा पर रोकथाम हेतु वन विभाग द्वारा आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है. उत्तर अस्वीकारात्मक पश्चिम बंगाल एवं झारखंड राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में जंगली हाथी काफी संख्या में पाए जाते हैं. जंगली हाथी प्राप्त भोजन एवं जल की तलाश में स्वभाविक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमण करते रहते हैं. जंगली हाथियों में परंपरागत मार्गो पर विचरण करने की अनुवांशिक प्रवृत्ति होती है.
ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के चांडिल वनप्रक्षेत्र में मानव हाथी द्वन्द की घटनाओं एवं उससे हो रही क्षति को यथासंभव कम करने हेतु सभी वन कर्मी सदैव प्रयासरत रहते हैं. वर्तमान में सरायकेला वन प्रमंडल के चांडिल प्रक्षेत्र में 01 विशेष गश्ती दल हाथी भगाने में सक्रिय है. हाथियों के आवागमन की सूचना होने पर विशेष गश्ती दल वन रक्षियों के साथ तथा स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से हाथियों के झुंड को जंगल की ओर ले जाने की कार्रवाई करते हैं. जंगली हाथियों को अन्ययत्र भागने के लिए विभाग का प्रशिक्षित दस्ता नहीं हैं तथा विभाग के पास हाथी भगाने के लिए पटाखा, जलावन और टार्च की भी उपलब्धता नहीं हैं.
उत्तर अस्वीकारत्मक, जंगली हाथियों द्वारा फसल और मकान के नुकसान पर दी जाने वाली मुआवजा राशियों में बढ़ोतरी तथा पश्चिम बंगाल की तर्ज पर सोलर तार फेंसिंग कर राज्य के प्रवेश सीमा पर ही हाथियों को रोकने का विचार रखती है हा तो कब तक नहीं तो क्यों नहीं उत्तर दादर में संशोधन का प्रस्ताव राज्य सरकार के समक्ष विचाराधीन है. पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में जंगली हाथियों के विचरण पर रूप से रोक लगाना वन्य प्राणी संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिकूल एवं व्यवहारिक दृष्टिकोण से अत्यंत दुष्कर कार्य है. साथ ही सीमावर्ती क्षेत्र में किसी भी प्रकार के अवरोध का निर्माण किए जाने से अंतरराज्यीय संबंधों पर भी इसके प्रभाव पड़ने की संभावना हो सकती है. इसलिए वैसे सीमावर्ती क्षेत्र जहां पर इस प्रकार के अवरोध की अत्यंत आवश्यकता है उस क्षेत्र में पड़ोसी राज्य के साथ विचार- विमर्श कर तथा वन्य प्राणी विशेषज्ञों से राय प्राप्त कर उक्त का निर्माण किया जा सकता है.