दुमका (Mohit Kumar) बच्चों से हो रहे लैगिंक अपराध की रोकथाम को लेकर न्याय सदन में पोक्सो एक्ट पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन रविवार को संपन्न हुआ. सेमिनार में सभी स्टेक होल्डर न्यायिक पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, बच्चों को संरक्षिण करने वाली चाईल्ड हेल्प लाईन समेत विभिन्न संस्था के सदस्य शामिल हुए.
सेमिनार में आये दिन बच्चों से हो रहे लैंगिक अपराध की रोकथाम, शिकार बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने और मिलने वाली सहायता पर चर्चा हुई. सेमिनार का आयोजन झालसा के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में किया गया. सेमिनार का उद्घाटन प्रधान जज सह प्राधिकार अध्यक्ष अनिल कुमार मिश्रा, एसपी अंबर लकड़ा, जिला प्रशासन की ओर से सिविल एसडीओ महेश्वर महतो आदि ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्जवलित कर किया.
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रधान जज अनिल कुमार मिश्रा ने सेमिनार के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि बाल अपराध की रोकथाम और लैंगिक अपराध के शिकार बच्चों का भविष्य सुनहरा बनाने के दिशा में एक प्रयास बताया. उन्होंने सोशल मीडिया समेत विभिन्न माध्यमों से अश्लील साहित्य की ओर झुकाव को लेकर चिंता जाहिर करते हुए इसके रोकने के लिए क्या करना आवश्यक है और कैसे रोकना संभव हो उस पर चर्चा किया जा सके. उन्होंने समाज में हो रहे अपराधिक घटनाओं के कारणों को तलाशने और निवारण पर मंथन करने पर जोर दिया. उन्होंने हर हाल में प्रयोजित रूप से अपराध के बाद की स्थिति पर ध्यान देने और उसके निजी पहचान उजागर नहीं हो इसका खास ध्याल रखने की सलाह दी. उन्होंने खास तौर पर विभिन्न संस्थानों को आपस में कम्यूनिकेशन गैप को दूर करने, मनोचिकित्सकों को पीड़ित बच्चों के काउंसिलिंग के अनुभवों को शेयर करने की सलाह दी, ताकि लेकर लैंगिक अपराध को रोकने में सहायक हो. उन्होंने कहा कि बच्चे अपराधिक गतिविधियों का शिकार परिवार, समाज और संस्थान सभी में हो सकते है. इस पर परिचर्चा कर इसे दूर करना हम सभी की जिम्मेवारी है.
अतिथि एसडीओ महेश्वर महतो ने वैसे अपेक्षित बच्चों को लिगली और मॉरॉली सहायता पहुंचाना आवश्यक बताया. उन्होंने वैसे पीड़ित बच्चों को काउंसेलिंग कर रोजगार समेत अन्य समान्य गतिविधियों से जोड़ते हुए मुख्यधारा से जोड़ने पर जोर दिया, ताकि पीड़ित बच्चों को इंसाफ मिल सके. इस दिशा मे विचार- विमर्श करने की सलाह दी.
एसपी अंबर लकड़ा ने पोक्सो एक्ट के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों से लैंगिक अपराध की रोकथाम के लिए अपराध के कारणों पर मंथन की बात कही. उन्होंने कहा कि पुलिस पदाधिकारी समेत बच्चों के लिए काम करने वाले हेल्प लाईन समेत विभिन्न संस्था का होना यह मंच बेहतर प्लेटफार्म है. पुलिस पदाधिकारी, अनुसंधानकर्त्ता और थाना प्रभारी समेत समाज के हर वर्ग को पोक्सों एक्ट की जानकारी, जरूरतों और उसमें सजा के प्रावधानों को लोगों को बता एवं जागरूक करने की बात कही. उन्होंने कहा कि बच्चे मानसिक, भावनात्मक समेत शरीरिक रूप से कमजोर होते है. बच्चों को संरक्षिण करने के लिए बने विशेष कानून के प्रावधानों को समाज को बताना अति आवश्यक बताया. उन्होंने एक्ट के प्रभाव और बच्चों से हो रहे अपराध में रोकथाम कैसे हो, इसके लिए सभी के सहयोग को आवश्यक बताया. उन्होंने पोक्सो एक्ट के प्रावधानों को बताते हुए कहा कि अगर कोई बच्चा लैंगिक अपराध का शिकार हो रहा है और यदि उसके शिक्षक, अभिभावक या उससे जुड़े लोग जानकारी छुपाते है, तो एक्ट के तहत उसमें भी सजा का प्रावधान है. उन्होंने बच्चों से हो रहे शोषण को संबंधित विभाग को बताना आवश्यक बताया.
रोकथाम की दिशा में पहल करते हुए सुदूर ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया. इसके लिए स्कूल और गांव स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम समय- समय पर करने पर जोर दिया, जिससे बच्चे अपने खिलाफ होने वाले अपराध के प्रति जागरूक हो सके और खुद को सुरक्षित कर सके. उन्होंने इस दिशा में पुलिस पदाधिकारियों को आने वाले चुनौतियां को लेकर मेडिकल टीम समेत अन्य संस्था के सहयोग से दूर करने की बात कही, जिससे पीड़ित बच्चों का सहयोग हो सके.
सेमिनार में एडीजे वन रमेश चंद्रा, डीएसपी मुख्यालय विजय कुमार, एसडीपीओ, सदर मो नूर मुस्तफा, सहायक लोक अभियोजक चंपा कुमारी, स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ मिताली परासर, सीडब्लूसी सदस्य डॉ राजकुमार उपाध्याय आदि ने पोक्सो एक्ट पर अपने- अपने विचार रखे. सेमिनार का आयोजन प्राधिकार सचिव विश्वनाथ भगत ने किया. मंच संचालन पीएलए सदस्य काजल कुमारी ने की. अतिथियों का स्वागत सिनियर सिविल जज द्वितीय ऋतिका सिंह ने किया. इस अवसर पर सीजेएम धमेंद्र कुमार सिंह, एसडीजेएम जितेंद्र राम, जेएम वन विजय कुमार यादव समेत अन्य उपस्थित थे.