DESK खतियानी आंदोलन के नाम पर सुर्खियां बटोरकर चंद महीनों में ही खुद की तुलना टाइगर से करवाने वाले जयराम महतो अब अपनों के ही निशाने पर आ गए हैं. साधारण छात्र नेता से अचानक खतियानी आंदोलन के नाम पर राज्यव्यापी आंदोलन खड़ा करने में जयराम के पर्दे के पीछे के खिलाड़ियों की पोल खुलने लगी है.
कुड़मी युवाओं को हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे जयराम
जयराम खतियानी आंदोलन के जरिए कुड़मी युवाओं को साधने में सफल रहे हैं. युवा यह भूल रहे हैं कि जयराम उन्हें हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे हैं. मंच से नेताओं, मंत्रियों पत्रकारों की आलोचना कर जयराम सभाओं में सुर्खियां बटोर रहे हैं. कुड़मी युवा उसे भगवान मानने लगे हैं. जयराम ने बड़ी चतुराई से कुड़मी बहुल कोल्हान को अपने लिए चुना यहां के युवाओं को खतियानी आंदोलन के लिए उकसाया और उन्हें उन्मादी बनाकर कुछ भी बोलने लगे हैं, न भाषायी शालीनता न पद की गरिमा का ख्याल रख रहे हैं. हालांकि कुड़मी समाज के बुद्धिजीवी और कुड़मी को एसटी का दर्जा देने, कुरमाली भाषा को मान्यता देने और चुआड़ विद्रोह के नायक के रूप में रघुनाथ महतो की भूमिका पर उठे विवाद पर जयराम की चुप्पी पर खपा हैं और जयराम को प्रोजेक्टेड आंदोलनकारी मानने लगे हैं. जयराम के तामझाम और कार्यक्रम में होनेवाले फंडिंग और चंदे पर भी सवाल उठने लगे हैं. हिसाब किताब को लेकर कुछ कुड़मी नेताओं ने जयराम के कार्यक्रमों से किनारा कर लिया है. जयराम के समर्थक खतियानी गैंग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय हैं और जयराम के समर्थन में अश्लील भाषाओं का प्रयोग कर जयराम की छवि बिगाड़ने में जुटे हैं जो आनेवाले दिनों में जयराम के लिए नुकसानदेह साबित होगा.
जयराम के समर्थन में उतरे सूर्य सिंह बेसरा आदिवासियों के निशाने पर
जयराम की सभाओं में मंच साझा कर रहे आदिवासी नेता घाटशिला के पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा आदिवासियों के निशाने पर आ गए हैं उनके पातकोम दिशोम में प्रवेश करने पर माझी परगना महाल ने फतवा जारी कर दिया है. सूर्य सिंह बेसरा इन दिनों राजनीतिक हाशिए पर चल रहे थे. जयराम के कंधे पर पैर रखकर उन्होंने बड़ा रिस्क लिया है. सूर्य सिंह बेसरा ने माझी- आदिवासी- कुड़मी को भाई- भाई कहकर बखेड़ा खड़ा कर दिया है. यही वजह है कि सूर्य सिंह बेसरा आदिवासियों के निशाने पर आ गए हैं.
जयराम के कार्यक्रमों के फंडिंग और चंदे के अलावे तामझाम पर उठ रहे सवाल
जयराम की सभाओं के लिए फंडिंग चंदे और तामझाम पर कुड़मी समुदाय के नेताओं ने ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. नाम नहीं छापने की सूरत में एक कुड़मी नेता ने बताया कि जयराम के कार्यक्रमों को लेकर जुटाए जा रहे फंडिंग और तामझाम की जांच होनी चाहिए. साइकिल पर चलने वाला एक साधारण छात्र आज एक साल के भीतर महंगी- महंगी गाड़ियों पर चल रहा है. प्राइवेट हाईटेक बॉडीगार्ड लेकर कार्यक्रम कर रहा है. मंच पर समाज के बुद्धिजीवी बैठे रहते हैं और जयराम गाड़ी के छत पर खड़े होकर उन्हें पीठ दिखाकर भड़काऊ भाषण देकर युवाओं को गुमराह कर रहा है. जयराम या उसके परिवार का कोई सदस्य झारखंड आंदोलन से कभी नहीं जुड़ा. हां वह शिक्षित जरूर है, मगर शिक्षा का गलत प्रयोग कर रहा है. हम अच्छी तरह जानते हैं कि बगैर संविधान में संशोधन और कोर्ट की मान्यता के कोई भी बिल या प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता. हमारा समाज उनके लिए आंदोलित है, मगर जयराम का आंदोलन राजनीतिक महत्वाकांक्षा से प्रेरित है जो आने वाले दिनों में खुलकर सामने आ जाएगा. आज जो युवा उन्मादी होकर उसे आगे बढ़ा रहे हैं, उन्हें कल पछताना पड़ेगा. हमारा समाज आंदोलनकारियों से भरा पड़ा है. मगर शोषित, वंचित और पीड़ितों का आवाज बना है और कुर्बानियां भी दी है. जयराम अभी युवा है उसे काफी कुछ सीखना होगा. हम उसे नैतिक समर्थन नहीं दे सकते.
Reporter for Industrial Area Adityapur