दुमका (Mohit Kumar) कोलकाता के निःसंतान प्रोफेसर दंपत्ति को अपने आंखों का तारा मिल गया है. मिशनरिज ऑफ चैरिटी दुधानी, दुमका में आवासित दो वर्षीय बालिका को शनिवार को बक्सीबांध स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी, महिला सदस्य नूतन बाला, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, चिकित्सक, एसएए के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रहनेवाले के प्रोफेसर दंपत्ति के गोद में सौंप दिया.
दोनों कोलकाता के अलग- अलग कालेजों में रसायनशास्त्र और जीव विज्ञान के प्राध्यापक हैं. आम तौर पर अजनबियों को देखकर रोने वाली यह बच्ची जैसे ही एडेप्टिव पैरेंट के गोद में गयी, वह खुश हो गयी. सूनी गोद भर जाने से पति- पत्नी दोनों की खुशी और उत्साह देखते ही बन रही थी. दोनों अपने साथ बच्चे के लिए ढेर सारे नये कपड़े और नया नाम लेकर आये थे. गोद देने की प्रक्रिया के साथ ही इस बच्चे का नये नाम के साथ इस बच्ची का पुर्नजन्म हो गया है. उसे गोद लेनेवाले माता- पिता से उसे वे सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे जैसे किसी बच्चे को उसके जैविक माता- पिता से मिलते हैं.
बता दें कि 2018 से अबतक दुमका से दिया गया यह 15वां एडोप्सन है. इस बालक के जैविक माता- पिता को खोजने के लिए बाल कल्याण समिति, दुमका ने 14. 09. 2022 को अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किया था. जब अखबारों में विज्ञापन प्रकाशन के 60 दिनों तक कोई भी इस बच्ची का माता- पिता होने का दावा करने के लिए सामने नहीं आया तो जरूरी कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए बालिका को बाल कल्याण समिति दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के द्वारा एडोप्सन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर दिया गया था. कोलकाता के इस निःसंतान दंपत्ति ने कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) के वेबसाइट में 2018 में ही निबंधन किया था. जांच एवं वांछित आवश्यक कागजात के साथ जरूरी प्रक्रिया को पूरा करते हुए प्री एडोप्सन केयर में इस बालक को दंपत्ति को सौंप दिया गया.
जिला दंडाधिकारी के न्यायालय से इस एडोप्सन प्रक्रिया पर अंतिम रूप से निर्णय लिया जाना है. सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि समिति ने इस वर्ष अबतक छह बच्चों को एडोप्सन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया है.