जमशेदपुर (Rajesh Thakur)
झारखंड में सिलापट्ट में नाम को लेकर सियासती घमासान मचा हुआ है. नाम महत्वपूर्ण है काम भले कैसा भी हो, इससे किसी को लेना- देना नहीं. वहीं इसके कोपभाजन का शिकार विभागीय अधिकारियों को होना पड़ता है. यहां तक की जनप्रतिनिधि तो जनप्रतिनिधि उनके रिश्तेदार भी अब सरकारी अधिकारियों की क्लास लगाने लगे हैं.
आपको याद दिला दें कि पिछले दिनों यह विवाद सरायकेला- खरसावां जिला से शुरू हुआ था. जहां एक सिलापट्ट में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का नाम छोटा लिखने से भाजपाई भड़क उठे थे. उसके बाद शिलान्यास करने पहुंचे खरसावां विधायक दशरथ गागराई के साथ धक्का-मुक्की तक हो गई थी.
दूसरा विवाद जमशेदपुर में हुआ था. जहां मानगो खुदीराम बोस प्रतिमा अनावरण एवं निशान साहेब स्थल के सौंदर्यीकरण का उद्घाटन करने पहुंचे स्थानीय विधायक सह राज्य के मंत्री बन्ना गुप्ता को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. यहां भी भाजपाइयों ने जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो का अपमान करने का आरोप लगाते हुए खूब बवाल काटा था.
तीसरा विवाद शनिवर को सामने आया. जहां करनडीह में जमशेदपुर- हाता पथ और राजनगर- जुगसलाई पथ के मरम्मतीकरण के शिलान्यास कार्यक्रम में सांसद विद्युत वरण महतो अपना नाम नीचे लिखने पर भड़क उठे और विभागीय अधिकारियों को खूब खरी-खोटी सुनाई. इतना ही नहीं सांसद बगैर शिलान्यास कार्यक्रम में हिस्सा लिए वापस लौट गए. वहीं स्थानीय विधायक संजीव सरदार ने विभागीय अधिकारी की जमकर क्लास लगाई. और तो और जिला परिषद सदस्य के रिश्तेदार ने भी विभागीय अधिकारी की खूब क्लास लगाई. बेचारा विभागीय अधिकारी करे तो क्या करें.
बता दें कि कुल 9.14 किलोमीटर सड़क का मरम्मतीकरण किया जाएगा. इसमें करीब 6 करोड़ रुपए की लागत आएगी. सड़क अभी बनना शुरू भी नहीं हुआ है, कि नाम को लेकर हाय- तौबा मचा हुआ है. वैसे झारखंड के लिए यह कोई पहला मामला नहीं है. इस कोहराम के बीच विधायक संदीप सरदार ने शिलान्यास किया और चलते बने.