जमशेदपुर: हाल ही में जमशेदपुर के पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो द्वारा लिखी गई दो पुस्तकों में चुआड़ विद्रोह के नायक के रूप में रघुनाथ महतो के नाम का जिक्र करने और उन्हें आजादी का नायक के रूप में साबित करने से भूमिज समुदाय ने कुड़मी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बुधवार को कोल्हान के तीनों जिलों के भूमिज समुदाय के लोगों ने कुड़मी समाज के खिलाफ साजिश के तहत भूमिज समाज के पूर्वजों का नाम आजादी के आंदोलन से गायब करने का साजिश रचने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया.
भूमिज समुदाय के लोगों ने कुड़मी नेताओं को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनके समाज के नायकों के नाम के साथ छेड़छाड़ किया जाएगा तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इस दौरान आक्रोशित भूमिज समुदाय के लोगों ने घाटशिला के पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की और उन्हें आदिवासी विरोधी करार दिया. बता दें कि हाल ही में सूर्य सिंह बेसरा ने पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो के साथ मंच साझा करते हुए कुड़मी समुदाय के आंदोलन का समर्थन किया था.
झारखंड गठन के 22 साल बाद आज भी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. कभी डोमेसाइल के नाम पर कभी स्थानीयता के नाम पर. इसे झारखंड का दुर्भाग्य कहें या यहां के राजनेताओं की सत्ता लोलुपता… इसे समझने की जरूरत है. अलग झारखंड राज्य का सपना साकार जरूर हुआ मगर झारखंडी आज भी लड़ रहे हैं. किसी को खतियान आधारित स्थानीय नीति चाहिए, किसी को डोमिसाइल नीति चाहिए…. सवाल यह उठता है कि विवाद पैदा कौन करा रहा है ! इसका लाभ किसे मिल रहा है ! क्या आदिवासियों को इसका लाभ मिल रहा है ? राज्य सरकार विधानसभा से बिल पास कर गेंद राज्यपाल और केंद्र सरकार के पाले में डालकर वाहवाही लूट रही है, जबकि राज्यपाल के यहां फाइल धूल फांक रहा है. नतीजा लोग सड़क पर लड़ रहे हैं. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, मगर इस पर बोलेगा कौन ! सभी को राजनीतिक रोटी जो सेंकनी है.
Reporter for Industrial Area Adityapur