खरसावां के जनजातीय कला संस्कृति भवन में संथाल समुदाय ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 66 वीं पुण्यतिथि मनाई गई. इस दौरान अंबेडकर जी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्वा सुमन अर्पित किया. वही अंबेडकर के बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया.
मौके पर आदिवासी हो महासभा के जिला उपाध्यक्ष मनोज सोय ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समग्र भारत के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. उन्होने देश के 80 प्रतिशत समाज जो दलित वर्ग में आकर सामाजिक व आर्थिक तौर से पिछडे थे. उन्हे अभिशाप से मुक्ति दिलाने हुए उन्हे मुख्यधारा से जोड़ा. उन्होने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के सपने को पूरा करना सच्ची श्रद्वाजंलि होगी. श्री सोय ने कहा कि अंबेडकर का जन्म 14 अप्रेल 1891 को मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनका पूरा बचपन संघर्ष भरा रहा. 8 अगस्त 1930 को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान अंबेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा. अंबेडकर एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता थे, जिसके कारण वे देश के पहले कानून मंत्री बने.
29 अगस्त 1947 को अंबेडकर को स्वतंत्र भारत के नये संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया. 26 नबवर 1949 को सविधान सभा ने संविधान को अपना लिया. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्वाजंलि देने वालों में मुख्य रूप से जर्मन सिंह हांसदा, राजेश टूडू, सोमराय मरांडी, कुंवर किस्कु, राकेश हांसदा, मानसिंह सोरेन, मनोज कुमार सोय, श्रीसिंह सोरेन, नेपाल टुडु, शिशु हांसदा आदि उपस्थित थे.
*खरसावां में संथाल समाज का संगठन बनाने का निर्णय*
खरसावां में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर संथाल समुदाय के लोगों ने रामो सोरेन की अध्यक्षता में बैठक कर संथाल समुदाय को संगठित करने, सामाजिक एकरूपता लाने में युवाओं ने बढ़चढ कर हिस्सा लिया. इसके अलावे खरसावां में संथाल समाज का संगठन बनाने, दिशोम बाहा मिलन समारोह सह जागरूकता कार्यक्रम चलाने, खरसावां में दिशोम जाहेर गढ़ स्थान का निर्माण करने को लेकर आगामी 18 दिसबंर को 24 गांव के संथाल समुदाय की बैठक खरसावां में बुलाने का निर्णय लिया. इस बैठक में दिशूम देश परगाना फकीर मोहन टुडू मुख्य रूप से उपस्थित थे.