जमशेदपुर: राज्य में कुड़मी और आदिवासियों के बीच शीत युद्ध जारी है. इस बीच झारखंड की राजनीति में हाशिये पर चल रहे दो दिग्गज नेताओं ने नया शगूफा छोड़कर नई जमीन तलाशने में जुट गए हैं. बता दें कि कुड़मी समुदाय के लोग कुड़मी को एसटी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जबकि एसटी समुदाय इसका विरोध कर रहा है. इसी को लेकर दोनों समुदाय के बीच शीत युद्ध चल रहा है.
जिसमें घाटशिला के पूर्व विधायक सह झारखण्ड पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा और जमशेदपुर के पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो ने अगले साल मार्च से वृहद झारखण्ड और कुड़मी जाती को आदिवासी की श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग को लेकर दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करने का ऐलान किया है. सोमवार को जमशेदपुर के निर्मल भवन में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर दोनों नेताओं ने इसकी जानकारी दी. उन्होने कहा कि वर्तमान समय में झारखण्ड का जो भू भाग है, उससे अधिक वृहद झारखण्ड की परिकल्पना झारखण्ड आंदोलनकारियों ने देखी थी, जिसमें वर्तमान ओड़िसा का रायरंगपुर और क्योंझर समेत बंगाल के पुरुलिया जिले को भी झारखण्ड में शामिल किये जाने का संकल्प आंदोलनकारियों ने लिया था, लेकिन सत्ता में काबिज राजनितिक पार्टियों ने इसे राजनीती की भेंट चढ़ा दी. वहीं कुड़मी जाती देश आजादी के पूर्व आदिवासी श्रेणी में शामिल थी, लेकिन इन्हे भी राजनितिक शिकार बनाकर इससे बाहर कर दिया गया. इन दोनों ही विषयों पर उनके द्वारा आगामी वर्ष मार्च के महीने मे दिल्ली पहूंचकर आंदोलन किया जायेगा. हालांकि यह कितना सफल होता है ये तो आनेवाला समय ही बताएगा, मगर दोनों नेताओं ने एक मंच पर आकर भविष्य की राजनीति के संकेत दे दिए हैं.