खरसावां: झारखंड स्थापना दिवस पर खरसावां- कुचाई में वनमित्रों और ग्राम सभाओ द्वारा वन संरक्षण नियम 2006 के तहत वन संरक्षण नियम 2022 पर उद्योगपतियों को वन भूमि उपलब्ध कराने हेतु तैयार की गई अधिसूचना को निरस्त करने की मांग पर विरोध प्रदर्शन किया गया.
वही पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लाए गए वन संरक्षण नियम के अधिसूचना को जलाया गया. साथ ही वन संरक्षण नियम 2022 को निरस्त करने की मांग करते हुए वन संरक्षण नियम 2022 को निरस्त करने हेतु भारत के प्रधानमंत्री के नाम पर प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा एक ज्ञापन देने की घोषणा की गई. खरसावां के चांदनी चौक एवं कुचाई के बिरसा स्टेडियम में वनमित्रों और ग्राम सभाओ के लोग एकजुट होकर प्रदर्शन किया.
Video
मौके पर झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन के प्रदेश प्रभारी सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि भारत सरकार वनों और वन भूमि को बड़े कारपोरेटस और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने के लिए वन भूमि के विशाल क्षेत्रों से आदिवासियों एव अन्य वनवजीवी समुदायों को उखाड़ फेकने और विस्थापन करने के लिए हिंसक हमला शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए वन संरक्षण नियम को संसद के सामने रखा है. यह संभावना है कि बजट सत्र 2023 के दौरान अनुमोदित हो जाएगा. यह नियम आदिवासियों पर हमला है. जो बर्दाश्त नही किया जाएगा.
Video
वही जंगल बचाओ आंदोलन के जिला प्रभारी भरत सिंह मुंडा ने कहा कि यह नियम एफसीआर 2022, वन अधिकार अधिनियम, पेसा अधिनियम, और भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनस्थापना अधिनियम 2013 के तहत आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के ग्रामसभा को दिए गए भूमि समुदाय और वन अधिकारों का बंदोबस्त करने और उनकी भूमि पर परियोजनाओं को स्वीकृति देने के वैधानिक अधिकार को छीन लेगा.
जबकि दोलू सरकार ने कहा कि आदिवासियों पर हमले कई बार हो चुके है. हर बार आदिवासियों को बेदखल करने की योजना बनी है. लेकिन आदिवासियों ने बहादुरी से मुकाबला किया. ऐसा हमला ब्रिटिश शासन के दौरान किया था. इस दौरान ग्रामीणों ने पर्यावरण, जलवायु की रक्षा करने, पहले की तरह लड़ने का संक्लप लिया.
इस विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से सोहन लाल कुम्हार, भरत सिंह मुंडा, दोलू सरदार, बबलु मूर्मू, गोपाल सिंह मुंडा, बोशेन मुंडा, सोयना सरदार, अजय कुमार महतो, लादुराम प्रधान, कारू मुंडा, राजेश मुंडा, सुखराम सरदार, गोलमा सरदार, राम कुष्णा मुंडारी, रसोई मुंडा, बुधन सरदार, गोमिया मुंडा, गुरूवारी सरदार, सुरू मुंडा, बुधनी सरदार सहित काफी सख्या में ग्रामीण शामिल थे.
बाइट