कुचाई प्रखण्ड के दलभंगा स्थित बिरसा चौक में बकास्त मुंडारी खुटकट्टी रक्षा एवं विकास समिति 39 मौजा दलभंगा के तत्वाधान में मंगलवार को पारंपरिक तरीके से भगवान बिरसा मुंडा की 147 वीं जयंती मनाई गई. बकास्त मुंडारी खुटकट्टी रक्षा एवं विकास समिति के अध्यक्ष बैकुंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में आयोजित जंयती समारोह में मुंडा- मानकियो ने पारंपरिक रीति रिवाज के तहत पारंपरिक जुलूस निकाला.
साथ ही परंपरा के तहत साल वृक्ष की पूजा अर्चना की. पूजा अर्चना के साथ बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर नमन करते हुए श्रद्वाजंलि दी गई. भगवान बिरसा मुंड़ा को श्रद्वाजंलि देते हुए बकास्त मुंडारी खुटकट्टी रक्षा एवं विकास समिति 39 मौजा दलभंगा के निर्देशक मानसिंह मुंड़ा ने कहा कि आदिवासियों के भाषा-संस्कृति की रक्षा हमारा कर्तव्य है.
उसकी भाषा- संस्कृति का विकास आवश्यक है. अपनी अस्मिता को बचाये रखने के लिए आदिवासियों में जागरूकता जरूरी है. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम भगवान बिरसा मुंडा के आन्दोलन की देन है. उनके आदर्शो को अपनाए तभी समाज का विकास होगा. बलिदानियों व शहीदों के खून से यह झारखण्ड बना है. उनका सपना पूरा करना सच्ची श्रद्वाजंलि होगी. बिरसा मुंडा झारखंड के लिए ही नही, बल्कि दुनिया के इतिहास के पन्नो पर दर्ज हैं.
वहीं झामुमो प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के अधिकार के दमन के विरुद्ध जनजागरण अभियान चलाने वाले भगवान बिरसा मुंडा को नमन करते है. इस महापुरूष ने अपनी जान की आहुती देकर अलग झारखंड राज्य की नींव रखी थी. उन्होने कहा कि बिरसा के आदर्श पर राज्य को आगे ले जाने का संघर्ष जारी रहेगा.
इस दौरान विभिन्न गांवो के कलाकारों ने पारंपरिक सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तृती देकर ग्रामीणों की वाहवाही लूटी. वहीं दो दिवसीय फुटबॉल प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने वालों में मुख्य रूप से निदेशक मानसिंह मुंडा, झामुमो प्रखंड अध्यक्ष धमेन्द्र सिंह मुंडा, मुखिया मंगल सिंह मुंडा, मुखिया करम सिंह मुंडा, मुखिया रेखा उरांव, पंसस चादमनी मुंडा, बैकुंड सिंह मुंडा, अर्जुन गोप, सोहन लाल कुम्हार, भरत सिंह मुंडा, सुखराम मुंडा, एमलेन नाग, अरूण मुंडा, दशरथ उरांव, मोहन लाल मुंडा, क्लेमेन्ट मुंडू, गोबरा मुंडा, दुर्गा मुंडा, पुजारी सहदेव मुंडा, जोगेंन्द्रर मुंडा, लखिराम मुंडा, मंगल सिंह कुम्हार, कृष्णा सिंह मुंडा, नर सिंह मुंडा, नंद किशोर सिंह मुंडा, महावीर मुंडा, तारकनाथ सिंह मुंडा, मो सलाम सहित सैकड़ो ग्रामीण शामिल थे.