सरायकेला (Pramod Singh) केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राव साहेब पाटिल दानवे को सरायकेला नगर पंचायत उपाध्यक्ष सह डीआरयूसीसी चक्रधरपुर मंडल के सदस्य सह चेंबर ऑफ कॉमर्स सरायकेला- खरसावां के महासचिव सह कालूराम सेवा ट्रस्ट सरायकेला के अध्यक्ष सह श्री जगन्नाथ मेला समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने ज्ञापन सौंपते हुए बताया है कि वर्तमान भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में आधारभूत संरचनाओं का तीव्र गति से विकास हो रहा है. इसी कड़ी में रेलवे मंत्रालय द्वारा भी विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशनों का निर्माण, नई रेलवे लाइनों का निर्माण, लग्जरी नई यात्री कोच एवं यात्रियों की सुरक्षा/सुविधाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम हो रहा है.
भारतवर्ष में यात्रा हेतु रेलवे का किफायती सुरक्षित सृदृढ़ मजबूत नेटवर्क तैयार हो रहा है. झारखंड के सरायकेला जिला मुख्यालय में रेलवे लाइन/ स्टेशन नहीं होने के कारण बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना है. जिसे देखते हुए उन्होंने सैकड़ों लोगों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपकर मांग की है, कि सरायकेला खरसावां जिला विश्व स्तरीय छऊ नृत्य के लिए प्रसिद्ध है. छऊ नृत्य कला को यूनेस्को ने विश्व की अमूर्त धरोहरों की सूची में शामिल किया है. छऊ नृत्य की विशेषता एवं कलाकारों के उम्दा प्रदर्शन को देखते हुए अभी तक भारत के सर्वोच्च सम्मानों से एक पद्मश्री पुरस्कार से 7 कलाकारों को नवाजा जा चुका है.
भारत ही नहीं विश्व के विभिन्न कोने से पर्यटक सरायकेला पहुंचते हैं. अभी वर्तमान सरायकेला में रेलवे स्टेशन नहीं होने के कारण भारत ही नहीं वरन् विदेश के पर्यटकों को पहुंचने में परेशानी होती है. सरायकेला क्षेत्र पूर्व में उत्कल प्रांत उड़ीसा का हिस्सा रहा है. सरायकेला की अधिकतर आबादी की रिश्तेदारी सरायकेला से सटे तिरिंग, बहालदा, रायरंगपुर, बारीपदा, बादाम पहाड़ (उड़ीसा) से है. रेलवे सुविधा नहीं होने के कारण शादी- विवाह एवं अन्य कार्य हेतु यात्रा (आवागमन) में काफी कठिनाई होती है. उच्च शिक्षा के लिए इस क्षेत्र के अधिकतर छात्र- छात्राएं उड़ीसा के कटक, भुवनेश्वर में पढ़ाई कर रहे हैं. सरायकेला में रेलवे स्टेशन नहीं होने के कारण वैसे छात्र- छात्राओं एवं अभिभावकों को भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. बेहतर इलाज एवं अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी इस क्षेत्र के अधिकतर लोग भुवनेश्वर, कटक के अस्पतालों में अपना इलाज करवाते हैं. सरायकेला में रेलवे स्टेशन नहीं होने के कारण वैसे मरीजों को भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
सरायकेला- खरसावां जिले के गम्हरिया से आदित्यपुर के इलाके में एसिया का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल बेल्ट है. हजारों कल- कारखाने अवस्थित हैं. इन उद्योगों में काम करने के लिए राजनगर, सरायकेला, नारायणपुर और आसपास के गांवों से असंगठित क्षेत्र के 25000 से ज्यादा मजदूर रेलवे स्टेशन व रेल की सुविधा नहीं होने के कारण 20 से 25 किलोमीटर की दूरी साइकिल से जाने के लिए मजबूर हैं. जिला मुख्यालय/जिला व्यवहार न्यायालय एवं अन्य कार्यालयों से संबंधित कार्य के लिए हजारों गांव के लोग रेलवे स्टेशन नहीं होने के कारण काफी कठिनाई से जिला मुख्यालय पहुंचते हैं. सरायकेला के नजदीक बड़ी सिटी टाटानगर, झारखंड की राजधानी रांची, नजदीक का महानगर कोलकाता एवं देश के अन्य नगरों में आवश्यक कार्य हेतु आने जाने में रेलवे स्टेशन नहीं होने के कारण बहुत ज्यादा कठिनाई होती है. रेलवे स्टेशन एवं रेलवे की सुविधा नहीं होने के कारण इस क्षेत्र खास करके सरायकेला नगरवासी शैक्षणिक एवं धार्मिक यात्राएं नहीं कर पाते हैं. भारतीय रेल आज भारतीयों की रीढ़ की हड्डी है, रोजगार शिक्षा स्वास्थ्य पर्यटन भारत दर्शन बिना रेलवे के संभव नहीं है.
उन्होंने मांग की है कि सरायकेला जिला मुख्यालय को रेलवे लाइन से जोडते हुए सरायकेला जिला मुख्यालय में रेलवे स्टेशन निर्माण हेतु आवश्यक दिशा- निर्देश दिया जाए.