गया (Pradeep Kumar Singh) भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में विश्व के कोने- कोने से प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं. वे भगवान बुद्ध का दर्शन करते हैं और कुछ समय यहां रहकर साधना- मेडिटेशन करते हैं. यहां विभिन्न देशों के दर्जनों बौद्ध मठ है, जहां प्रति वर्ष धार्मिक आयोजन होते रहते हैं.


यहां पर मेडिटेशन, बौद्धिस्ट एजुकेशन और धम्मा स्टडी की भी व्यवस्था है. लेकिन भिक्खुनी जिन्हें नन भी कहा जाता है, उनके लिए कोई अलग से व्यवस्था नही है. इसी को ध्यान में रखते हुए यूनाइटेड थेरावाद भिक्खुनी संघ इंटरनेशनल के द्वारा सकारात्मक पहल की गई है. महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के सहयोग से एक ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की गई है. जिसका उद्घाटन महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के जेनरल सेक्रेटरी सह श्रीलंका के शीर्ष बौद्ध धर्मगुरु भंते पी. सिवली थेरो ने फीता काटकर किया.
video
इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्व के कोने- कोने से बोधगया आने वाली भिक्खुनी साधना और धम्मा टॉक यहां कर सकेंगी. यहां पर बुद्धिस्ट स्टडी की भी व्यवस्था की गई है. स्टडी करने वालों के लिए हर तरह की व्यवस्था यहां की गई है. ताकि वे बौद्ध धर्म के बारे में बेहतर जानकारी ले सकें और उसका प्रचार- प्रसार कर सकें. कार्यक्रम में कई देशों के बौद्ध भिक्षु और भिक्खुनी ने विशेष प्रार्थना भी किया हैं.
बाइट
भंते पी. सिवली थेरो (जेनरल सेक्रेटरी- महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया)
वही इस मौके पर उड़ीसा से आई महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया की गवर्निंग बॉडी मेम्बर नम्रता चड्डा ने कहा कि वैसे तो अन्य देशों में भिक्खुणी के लिए कई संघ है. लेकिन भारत देश में इस तरह की व्यवस्था नहीं है. महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के द्वारा बोधगया में भिक्खुणीओं के लिए ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की गई है, जो काबिले तारीफ है. कई महिलाएं हैं जो भी भिक्खुणी बनना तो चाहती हैं, लेकिन उनके रहने-ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है ना ही ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था है. ऐसे में आज जो शुरुआत की गई है, वह बौद्ध भिक्खुणीओं के लिए काफी कारगर साबित होगी. स्वयं भगवान बुद्ध भी नारी सशक्तिकरण की बात करते थे, ऐसे में इस तरह की शुरुआत होने से महिला भिक्खुणी आगे आएंगी. आज पूरे विश्व में जो युद्ध का वातावरण बना है. इस ट्रेनिंग सेंटर के शुरुआत होने से शांति का संदेश भी देश दुनिया में जाएगा.
बाइट
नम्रता चड्ढा (गवर्निंग बॉडी मेम्बर- महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया)
