जमशेदपुर (Rajan)
कोल्हान के सिखों का नेतृत्व करने वाली सर्वोच्च धार्मिक बॉडी सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे ने पिछले दिनों आगामी चुनाव व श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश दिहाड़े को निकाले जाने वाले नगर कीर्तन की तैयारियों को लेकर 9 अक्टूबर को आमसभा बुलाई है.
मुखे के आमसभा बुलाए जाने की घोषणा के बाद उनके प्रतिद्वंद्वी गुट ने विरोध शुरु कर दिया है. मंगलवार को सीजीपीसी प्रधान पद के उम्मीदवार सरदार भगवान सिंह, हरविंदर सिंह मंटू ने अपने समर्थकों के साथ सीजीपीसी दफ्तर पहुंचकर मुखे को अवैध प्रधान बताते हुए उनके आमसभा बुलाए जाने का विरोध किया था, हालांकि इस विरोध में जमशेदपुर के सिख राजनीति के एक बड़े नेता शामिल नहीं थे.
शहर में चर्चा है कि वह हर बार की तरह पीछे से बैटिंग कर रहे हैं. अब इस मामले को लेकर दोनों गुट आमने सामने हो गए हैं. बुधवार को सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे ने एक बयान जारी कर कहा कि तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब सिखों की आस्था का केंद्र है और हम तख्त साहिब के प्रति समर्पित हैं. परंतु तख्त साहिब में बैठे तत्कालीन जत्थेदार रंजीत सिंह गौहर- ए- मस्कीन द्वारा मेरे प्रति जो पत्र जारी किया गया है उसे लेकर न तो मुझे तख्त साहिब में तलब किया गया न ही कोई पूछताछ की गई. सिर्फ और सिर्फ एकतरफा कार्रवाई करते हुए रोक लगाने का काम किया गया है. ऐसे में इस पत्र का कोई औचित्य नहीं है.
सिख इतिहास में यह तय है कि किसी भी मामले की कोई भी सुनवाई होनी है या किसी भी तरह की कार्रवाई की जाती है, या धार्मिक मामलों के उल्लंघन की बात आती है, तो पांच सिंह साहिबान के साथ विचार- विमर्श करके कार्रवाई की जाती है. परंतु मेरे मामले में पंज प्यारों से किसी तरह की कोई बातचीत नहीं की कई न ही सलाह ली गई. इसलिए यह पत्र भी अवैध है. इसलिए मैं उनके पत्र को नहीं मानता हूं.
मुखे ने आगे कहा कि मंगलवार 27 सितंबर को सीजीपीसी के दफ्तर में भगवान सिंह, हरविंदर सिंह मंटू व उनके सहयोगी आए थे और तत्कालीन जत्थेदार रंजीत सिंह के पत्र को दिखाकर यह कहना चाह रहे थे कि उन्होंने पांच सदस्यी संचालन समिति बनाई है. सर्वविदित है कि तख्त साहिब के तत्कालीन जत्थेदार रंजीत सिंह को जिन्हें पंज प्यारों ने उन्हें तनखहिया घोषित किया है. ऐसे में उनके पत्र का कोई औचित्य नहीं है, और रही बात अगर भगवान व उनके साथियों को आना ही था तो जब पत्र जारी हुआ था तब आना चाहिए था.
सीजीपीसी प्रधान मुखे ने कहा कि भगवान सिंह, हरविंदर सिंह मंटू, सरदार शैलेदंर सिंह व उनके सहयोगी सतेंद्र सिंह रोमी कहीं न कहीं समाज में विवाद पैदा करना चाह रहे हैं और माहौल को खऱाब करना चाह रहे हैं. मुखे ने आरोप लगाया कि ये लोग कहीं न कहीं देशद्रोही ताकतों से सांठगांठ किए हुए हैं. इसलिए जिला प्रशासन और एसएसपी से मांग है कि उन पर निगाह रखते हुए सख्त कार्रवाई की जाए, जो कि शहर के माहौल को अशांत करना चाहते हैं.
मुखे ने कहा कि मैं एक बार फिर कहूंगा कि जब भी सेंट्रल गुरुद्वारा का चुनाव होगा उसमें मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. पहले चुनाव संयोजक का चुनाव किया जाएगा और वही संयोजक आगे कार्रवाई बढ़ाते हुए संविधान अनुसार सीजीपीसी का चुनाव कराएंगे. इसमें मेरा कोई भी हस्तक्षेप नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा कि संविधान में कहीं भी यह प्रावधान नहीं है कि कोई भी पत्र जारी कर दे और उसे मान लिया जाएगा. सीजीपीसी के संविधान अनुसार ही चुनाव होगा. जहां तक बैठक बुलाने की बात है मैं इलेक्ट्ड प्रधान हूं इसलिए मेरा अधिकार है कि मैं आमसभा बुलाऊं और चुनाव कारऊं. इसलिए जो ऐसा बोल रहे हैं उन्हें या तो संविधान का ज्ञान नहीं है और या फिर पढ़े लिखे बेवकूफ हैं.
इधर, मुखे के इस बयान पर मानगो गुरुद्वारा के प्रधान सरदार भगवान सिंह ने बस इतना ही कहा है कि जब सच्चाई से कोई जीत नहीं सकता है तब सामने वाला इलजाम लगाता है और मुखे वही कर रहे हैं. ऐसे में कुछ बोलकर मैं क्यों पागल बनूं. मुखे के हर आरोप का स्वागत करता हूं. बाकी रही बात संगत की तो वह सब कुछ जानती है कि कौन देशद्रोही है और कौन दूध का धुला हुआ.