गया (Pradeep Kumar Singh) शहर के प्रसिद्ध मां मंगलागौरी शक्ति पीठ में शारदीय नवरात्र को लेकर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. अहले सुबह से ही भक्त मंगलागौरी मंदिर में दर्शन के लिए कतारबद्ध हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के महीने में यहां पूजा पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है.
गया रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर गया-घुघरीटांड़ बाईपास रोड के माड़नपुर मोहल्ला के समीप स्थित है, शक्तिपीठ मां मंगला गौरी का मंदिर. जहां नवरात्र के महीने में दूर-दराज से भक्त आते हैं और अपने परिवार की सुख, समृद्धि, शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव जब माता पार्वती के जलते शरीर को लेकर तांडव करते हुए आकाश मार्ग से चल पड़े, तब उनके रौद्र रूप को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर मां पार्वती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए. जहां-जहां माता पार्वती के शरीर के टुकड़े गिरे, वह स्थल शक्तिपीठ कहलाया. गया शहर के भस्मकुट पर्वत पर माता सती का वक्षस्थल गिरा, जो मंगला गौरी शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है. मंदिर के अंदर विगत कई वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है. जिसके दर्शन कर श्रद्धालु पूजा-पाठ करते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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स्थानीय पुजारी विनय गिरी बताते हैं कि मां मंगला गौरी शक्ति पीठ देश के मशहूर शक्तिपीठों में से एक है. यहां पूजा-पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति या जीव के लिए जन्म, पालन और संहार तीनों चीजें मायने रखती हैं. मां मंगला गौरी शक्तिपीठ मंदिर में देवी सती का वक्षस्थल गिरा था. इसलिए इसे पालन पीठ भी कहा जाता है. यहां पूजा पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वैसे तो सालों भर भक्त यहां पूजा करने आते हैं. लेकिन शारदीय नवरात्र के दौरान यहां पूजा करने का विशेष महत्व है. नवरात्र के दिनों में यहां काफी भीड़ होती है. यहां पूजा पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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विनय गिरी (स्थानीय पुजारी)
वहीं स्थानीय श्रद्धालु डॉली देवी ने बताया कि पूरे नवरात्र के सभी दिन मां मंगलागौरी मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं. परिवार में सुख, समृद्धि, शांति बनी रहे, इसलिए यहां पूजा-पाठ करते हैं. यहां पूजा करने से हमेशा मंगल होता है. यहां मां का वक्षस्थल गिरा था. जिसे शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. विगत कई वर्षों से यहां पूजा-पाठ करते आ रहे हैं. यहां पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और माता का आशीर्वाद बना रहता है.
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डॉली देवी (महिला श्रद्धालु)