राजनगर (पीताम्बर सोय) प्रखंड क्षेत्र के नामीबेड़ा गांव के टीका हेंब्रम एकलव्य आवासीय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा-2020 पास करने के बाद भी सम्बंधित स्कूल में उनका नामांकन नहीं हो पाया. दो साल तक नामांकन के लिए माता- पिता स्कूल का चक्कर काटते रहे, लेकिन बच्चे का नामांकन नहीं हो पाया. नामंकन के इंतजार में दो साल बीत गया. परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई. जब माता पिता ने पश्चिमी सिंहभूम के एकलव्य मॉडल अवासीय विद्यालय गुदड़ी जाकर स्कूल देखने पहुंचे तो वहां स्कूल का निर्माण ही पूरा नहीं हुआ है, न ही किसी से उनकी मुलाकात हो पाई. इसके लिए कल्याण विभाग और नेताओं का चक्कर काटा परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई. अंततः दो साल तक बच्चा घर में ही बैठा रहा.
एकलव्य विद्यालय प्रवेश परीक्षा पास करने की जितनी खुशी टीका हेम्ब्रम को थी, उतनी ही खुशी उनके माता पिता को भी हुई थी. जिससे टीका हेम्ब्रम के माता- पिता ने एकलव्य विद्यालय में नामांकन के लिए बच्चे का सर्टिफिकेट पर बीईईओ का काउंटर हस्ताक्षर से लेकर सारी कागजात की तैयारी कर रखी थी, परन्तु दो साल इंतजार करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो फिर से किसी दूसरे स्कूल में नामांकन कराने का निर्णय लिया.
*जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने कराया टीका हेम्ब्रम का नामांकन*
जब इसकी जानकारी जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रोहित महतो को मिली तो उन्होंने पहले तो गुदड़ी के एकलव्य मॉडल आवासीय में टीका का नामांकन कराने का प्रयास किया. परंतु वहाँ स्कूल भवन अधूरा होने और स्कूल का संचालन नहीं होने की स्थिति में नामांकन नहीं हुआ. जिससे रोहित महतो ने राजनगर के राजकीय बुनियादी विद्यालय में कक्षा छह में टीका हेम्ब्रम का नामांकन कराया. ताकि आगे टीका को शिक्षा से वंचित न होना पड़े.
*सिस्टम की लापरवाही से सैकड़ों बच्चे एकलव्य विद्यालयों में नामांकन से हुई वंचित*
केंद्र सरकार के शत प्रतिशत सहयोग से चलने वाले राज्य में 13 नए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में नामांकन परीक्षा में सफल हुए बच्चों के अभिभावक सचिवालय के चक्कर काट कर थक चुके हैं, पर उन्हें कोई सही उत्तर नहीं मिल पा रहा है, परंतु यहां झारखंड के नए एकलव्य आवासीय स्कूलों का संचालन कौन करेगा ? इनमें कौन पढ़ाएगा ? ये सारे स्कूल पीपीपी मोड पर चलेंगे या राज्य सरकार खुद इसकी व्यवस्था अपने हाथ में लेगी, ये सारे प्रश्न अभी अनुत्तरित हैं. परीक्षा पास कर चुके सैकड़ों बच्चों ने अब नामांकन की आस छोड़ दी है. फिर से राज्य की सरकारी स्कूली में नामांकन करा रहे हैं, लेकिन कई बच्चों ने स्कूलों से अपना अपना टीसी निकाल लिया है, टीसी में बीईईओ का काउंटर साइन भी है. जिससे उसी स्कूल में उनका दुबारा नामांकन नहीं हो पा रहा है. बच्चे और अभिभावक परेशान हैं.