खरसावां: मंगलवार को


कुचाई के मुंड़ा- मानकी भवन सभागार में आदिवासी समाज के सामाजिक उत्थान और विकास के लिए आदिवासी सामाजिक मंच की एक बैठक मंच के अध्यक्षा वर्षा रानी बाकिरा की अध्यक्षता में की गई. इस बैठक में आदिवासियों के सामाजिक हितो की सुरक्षा करने के लिए सामाजिक पलायन पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया.
साथ ही सामाजिक सरना धर्म के दस्तुर, संस्कृति की रक्षा करने का संक्लप लिया. इसके अलावे मंच का विस्तार भी किया गया. मौके पर श्रीमति बाकिरा ने कहा कि संघर्ष ही आदिवासी का जीवन दर्शन है. जन्म से मृत्यु तक संघर्ष करना हम आदिवासियों की नियती बन गई है. आइए अपने हक अधिकारों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करे. उन्होने एकजुट होकर सामाजिक समस्याओं को दूर करने, जग- जंगल- जमीन की रक्षा करने, अपनी भाषा- संस्कृति को बचाये रखने, समाज को शिक्षा से जोड़ने, जीविकोपार्जन पर ध्यान देने, सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने तथा आदिवासी समाज के विकास पर ध्यान देने की अपील की.
वही विधायक प्रतिनिधि भरत सिंह मुंडा ने कहा कि आदिवासी समुदाय की अपनी भाषा, व्यवहार, संस्कृति, जरूरते और पहचान है. ये चीजे वह आदिवासी बेहतर समझ सकता है, जिसे यह एहसास है कि उनका आदिवासी होना कितने गौरव की बात है. उन्होने कहा कि आदिवासियों को अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए खुद लडाई लड़नी होगी. इस दौरान पूर्व मुखिया मान सिंह मुंड़ा सहित कई लोगों ने अपने अपनी विचार रखे. इस दौरान मुख्य रूप से आदिवासी सामाजिक मंच की अध्यक्ष वर्षा रानी बाकिरा, गोबरा मुंडा, बिशाल सोय, कृष्णा मुंडा, सांरगधर हेम्ब्रम, ब्रजमोहन गागराई, देवेन्द्र सामड, चितामणी हांसदा, सुखराम मुंडा, लखिराम मुंडा, अशोके मानकी आदि उपस्थित थे.
