सरायकेला (Pramod Singh) शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच के नाम पर मानदेय रोके जाने की वजह से राज्य के सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) आक्रोशित हैं और आंदोलन के मूड में हैं. विदित हो कि हाल ही में सूबे के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव ने एक पत्र जारी करते हुए सभी सहायक अध्यापकों के प्रमाण पत्रों की जांच होने तक मानदेय भुगतान में रोक लगा दी है.
इस संदर्भ में एकीकृत अध्यापक संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष सोनू सरदार ने कहा है कि विभागीय सचिव का मानदेय रोकने संबंधी पत्र एक तुगलकी फरमान है. और मोर्चा इसका कड़ा विरोध करता है. सहायक अध्यापक नियमावली 2022 को लागू हुए तकरीबन 8 महीने गुजर चुके हैं. इतने समयावधि में अगर सहायक अध्यापकों के प्रमाण पत्रों की जांच पूरी नहीं हुई है तो इसके लिए पूरी तरह से विभाग जिम्मेदार है ना कि सहायक अध्यापक. क्या 8 महीने से सरकार सो रही थी.
सहायक अध्यापकों ने विभाग के निर्देशानुसार पहले ही जांच हेतु डिमांड ड्राफ्ट की राशि जमा कर दी है. इसके बावजूद अगर अब तक जांच पूरी नहीं हुई है तो सीधे तौर पर यह विभाग की लापरवाही है. इस तरह से विभाग की लापरवाही का खामियाजा सहायक अध्यापक भुगत रहे हैं. सिर्फ यही नहीं सहायक अध्यापक पूर्व में भी कई बार प्रमाण पत्र जांच के बाबत राशि जमा कर चुके हैं. सरदार ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार सहायक अध्यापकों के हमदर्द बनकर उनकी सभी समस्याओं का समाधान कर चुकने का दावा करती है तो वहीं दूसरी ओर एक साज़िश के तहत सहायक अध्यापकों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से प्रमाण पत्र जांच के नाम पर मानदेय रोक दिया जाता है. यह दर्शाता है कि इस सरकार में अफसरशाही पूरी तरह से बेलगाम है. अल्प मानदेय में गुजर-बसर करने वाले सहायक अध्यापक अगर राशि के अभाव में किसी समस्या में पड़ते हैं या किसी की इलाज के अभाव में मृत्यु हो जाती है तो इसके लिए विभाग जिम्मेदार होगा. उन्होंने शिक्षा सचिव को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि तीन दिनों के भीतर अगर सहायक अध्यापकों का मानदेय भुगतान नहीं किया जाता है तो राज्यव्यापी उग्र आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने तमाम मौजूदा अलग- अलग सहायक अध्यापक संगठनों से भी अपील किया है कि सभी एक होकर मानदेय भुगतान के विषय पर सरकार को लिखित अल्टीमेटम देते हुए आंदोलन की चेतावनी दें.