तिरुलडीह: एक तरफ समूचा कोल्हान प्राकृतिक आपदा बाढ़ से दो चार करने में जुटा है, दूसरी तरफ सरायकेला जिले के बालू माफिया आपदा में भी खूब मलाई काट रहे हैं. हद तो ये है कि बालू माफियाओं पर नकेल कसने की हिमाकत न तो पुलिस उठा रही है, न खनन विभाग. ऐसे में सरकारी राजस्व की चोरी कैसे रुके यह चिंता का विषय है, जबकि राज्य में एनजीटी कानून प्रभावी है.
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क्या कहते हैं वीडियो
एक कहावत बड़ा मशहूर है, कि चोर चोरी जरूर कर लेता है, मगर अपने निशान छोड़ जाता है. ऐसा ही इन तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. दरसअल सरायकेला- खरसावां जिला के ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र को बालू माफियाओं का मक्का के रूप में जाना जाता है. यहां के बालू और पत्थर माफिया विधायक और सांसद का भविष्य तय करते हैं. शासन- प्रशासन इनके दाएं- बाएं जेब में विराजते हैं. ऐसे में किसकी हिमाकत जो इन बालू माफियाओं पर हाथ डाल दे, यही वजह है, कि क्षेत्र के कुकड़ू, ईचागढ़, चांडिल, कपाली, नीमडीह आदि क्षेत्रों में धड़ल्ले से अवैध रूप से बालू का खनन जारी है. क्षेत्र की अगर हम बात करें तो 3- 3 टोल ब्रिज होकर बालू माफियाओं को गुजरना पड़ता है. ऐसे में सबूत की हमें आवश्यकता नहीं है, टॉल प्लाजा में लगे सीसीटीवी कैमरे बालू माफियाओं की पोल खोलने के लिए काफी है.
इनमें से सबसे अहम कुकड़ू प्रखंड है जहां तिरुलडीह थाना क्षेत्र के बालू घाटों से रात के अंधेरे में बालू माफिया अवैध रूप से बालू का उठाव करते हैं ऐसी बात नहीं है कि पुलिस- प्रशासन को इसकी भनक नहीं है मगर उन्हें इसकी चिंता नहीं है. जिला मुख्यालय से दूरी और क्षेत्र तक सुगमता से पहुंचने का सड़क नहीं होने का खामियाजा सरकार को उठाना पड़ रहा है.
तिरूलडीह थाना के सुवर्ण रेखा नदी तट के सालघाट एवं हाथीपाथर घाट पर अवैध बालू का विशाल भंडार देखने से प्रतीत होता है, कि बालू माफियाओं की सांठगांठ स्थानीय पुलिस प्रशासन से है. झारखंड सहित पूरे देश में 15 अक्टूबर तक एनजीटी कानून प्रभावी रहता है. झारखंड सरकार इसे राज्य में सख्ती से लागू कराने का दावा भी करती है मगर सरकार के तमाम दावों को जिले के बालू माफिया ठेंगा दिखा रहे हैं. जुलाई महीने में टास्क फोर्स द्वारा अवैध बालू उत्खनन एवं भंडारण के खिलाफ अभियान चलाया गया था मगर उन अभियानों की बालू माफियाओं ने हवा निकाल दी. आखिर किसके इशारे पर तिरूलडीह मे अवैध बालू का भंडारण का खेल चल रहा है ? रात भर बालू माफिया नदी घाटों से अवैध बालू का स्टॉक करते हैं और रात के अंधेरे में ही ट्रैक्टरों से बालू सप्लाई का खेल चलता है यहां का बालू राजधानी रांची सिल्ली जमशेदपुर और बंगाल तक जाता है.
वहीं दबी जुबान में लोगों को कहते सुना गया कि अवैध बालू कारोबार के खिलाफ तिरूलडीह थाना क्षेत्र में कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि इस थाने के थानेदार का मनोबल इतना बड़ा हुआ है कि वह बालू माफियाओं का समाचार संकलन करने वाले पत्रकार को भी झूठे मुकदमे में हटा देता है तो ग्रामीण की क्या औकात.
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