खरसावां- कुचाई में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव आस्था और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मंदिरों में गुरूवार रात से शुक्रवार तक श्रद्वालुओं का तांता लगा रहा. श्रद्वालुओं ने व्रत रखकर पारंपरिक रीति- रिवाज के तहत भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना कर परिवार की सुख- शांति व समृध्दि की कामना की.
खरसावां- कुचाई के राधा- माधव मंदिर खरसावां, हरि मंदिर, जगन्नाथ मंदिर हरिभंजा, जगन्नाथ मंदिर चाकड़ी, जगन्नाथ मंदिर बंदोलोहर, जगन्नाथ मंदिर डलायकेला आदि मंदिरों में गुरूवार रात से ही श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर अष्टमी की पूजा- अर्चना की. इसके अलावे घर- घर में भी श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा- अर्चना की. वहीं देर रात श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के पश्चात श्रीकृष्ण के बाल- गोपाल रूप का महा स्नान कराया गया. साथ ही आरती और श्रृंगार किया गया. वही श्रीकृष्ण जन्माटमी पर खरसावां के राधा- माधव मंदिर (हरि मंदिर) में भजन संध्या का भी आयोजन किया गया. बताया जाता है, कि श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के मध्य रात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मधुरा के कारागार में हुआ. द्वापर युग में मथुरा में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा का शासन था. चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. अतः इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसे संयोगों में भगवान कृष्ण की विधि- विधान पूर्वक पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. उनकी कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करने से सभी तरह के दु:खों का अंत हो जाता है. ऐसे में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करें.