आदित्यपुर: बीते 14 अगस्त की रात्रि अपराधियों ने थाना से सटे पीएचडी ऑफिस सह कॉलोनी के बाउंड्री से सटे 14 नंबर गली में फिल्मी अंदाज में सूरज मुंडा नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
घटना के तत्काल बाद खुद एसपी आनंद प्रकाश ने घटनास्थल का जायजा लिया था और अपराधियों को जल्द गिरफ्तार करने का दावा किया था. अपराधी चिन्हित थे शायद इसलिए उन्होंने ऐसा कहा था, मगर एसपी को क्या पता, कि जिन जांबाज अधिकारियों के दम पर वे दावा कर रहे हैं, उनका सूचना तंत्र इतना कमजोर हो चुका है, कि नामजद आरोपियों को गिरफ्तार करने में पांच दिन तक का वक्त लग सकता है. अपराधी पुलिस को पिछले पांच दिनों से छकाकर यह जताने का प्रयास कर रहे हैं कि उनका पुलिस कुछ नहीं बिगाड़ सकती है. जबकि आरोपी टिंकू दास और उसके दोनों बेटे शाहिल और रोहित फरारी काट रहे हैं और पुलिस ने टिंकू की पत्नी को थाने में बिठा रखा है. यहां तक कि बस्तीवासियों के आक्रोश का हवाला देकर पुलिस ने टिंकू के घर का सारा सामान कुर्क कर थाने में ले आयी है. फिर भी आरोपी अबतक पुलिस की पकड़ से दूर हैं.
आखिर कौन है अपराधियों का गॉडफादर ?
वैसे तो ना तो मृतक और ना ही आरोपियों का कोई बड़ा अपराधिक इतिहास रहा है. छोटी- मोटी घटनाओं में शामिल जरूर रहे हैं, मगर ऐसा नहीं था कि मामला हत्याकांड तक पहुंच जाएगा. सभी स्थानीय हैं और एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते- पहचानते हैं. सूत्र बताते हैं कि इन सबके पीछे वर्चस्व की जंग है. वर्चस्व ऐसा नहीं कि कोई गिरोह खड़ा करना चाहते थे. आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती, अलकतरा ड्रम बस्ती, गुमटी बस्ती, पीएचडी कॉलोनी में संचालित होने वाले ब्राउन शुगर, गांजा, अवैध शराब, और जुआ खेलने- खिलवाने को लेकर इनके बीच आपस में टकराव हो रहे थे. यहां गौर करने वाली बात यह है कि सभी बस्तियां आदित्यपुर थाना से 100- 200 मीटर की दूरी पर स्थित है. ऐसे में इन बस्तियों में संचालित हो रहे अवैध कारोबार की तरफ थाना की नजर क्यों नहीं पड़ी ? यह बड़ा सवाल है. गाहे- बगाहे कभी थानेदार ने दबिश दी भी तो उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा, क्योंकि सूचना पहले ही लीक हो जाती थी. आखिर सूचना लीक कौन करता है ? यह जांच का विषय है, क्योंकि थाना का निजी चालक थाना के कुछ अधिकारी कर्मचारी और कुछ खास किस्म के आवा भगत करने में लगे दुकानदार थाने की हर गतिविधियों की जानकारी लीक करने में अपनी भूमिका निभा रहे थे. पीएचडी कॉलोनी इन अपराधियों का केंद्र बिंदु बना हुआ था. सूत्र बताते हैं कि यहां अवैध रूप से सरकारी क्वार्टरों एवं पीएचडी के जमीन पर रह रहे लोग और कुछ छुटभैये नेता बने फिरने वाले लोगों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है
सूत्रों की अगर मानें तो एक महिला नेत्री के इशारे पर बस्ती के युवा गलत रास्ते पर चल रहे हैं और मरने- मारने पर उतारू हो चुके हैं. स्थानीय पार्षद का परिवार भी वर्चस्व को लेकर सुर्खियों में रहा है. एक स्थानीय रसूखदार नेता का भाई हत्या के दिन से गायब है. बताया जा रहा है कि घटना को अंजाम देने के बाद टिंकू दास अपने दोनों बेटों के साथ कोलकाता चला गया था. संभवत टिंकू दास अपने दोनों बेटों के साथ कोलकाता चला गया था. जब पुलिस ने उन्हें ट्रैक किया उसके बाद से टिंकू दास अपने दोनों बेटों के साथ लोकेशन बदल रहा है. इधर पुलिस ने उक्त हत्याकांड मामले में आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती से भी कुछ युवकों को उठाया था, मगर पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. सूत्र बताते हैं कि उनमें से एक युवक आर्म्स सप्लायर है और ब्रॉउन शुगर सप्लाई के मामले में जेल जा चुका था. आखिर उसे क्यों छोड़ा गया ? सूत्र बताते हैं कि पुलिसिया कार्रवाई की सारी भनक अपराधियों को लग रही है. उक्त तीनों बस्तियों के लोग थाने के इर्द- गिर्द मंडराते रहते हैं, और वही सारी सूचनाएं अपराधियों तक पहुंचा रहे हैं, जिससे अपराधी पुलिस की पकड़ से बच रहे हैं. वैसे सवाल पीएचडी के अधिकारियों पर भी उठ रहे हैं. इतने बड़े पैमाने पर सरकारी क्वार्टरों का अतिक्रमण हो रहा है, और अधिकारी चुप बैठे हैं, जबकि सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारी अवैध रूप से मकान बनाकर रह रहे हैं. उनकी पहचान क्या है ? वहां कैसे लोगों का आना- जाना होता है, इसकी जानकारी भी अधिकारियों को नहीं है. या यदि है भी तो उन्हें इससे कोई मतलब नहीं, कि उनके अधिकार क्षेत्र में स्थित दफ्तर और आवासीय कॉलोनी में क्या हो रहा है. हालांकि अपराधी पकड़े जरूर जाएंगे मगर पुलिस की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर जाएंगे.
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