तिरुलडीह: जिला मुख्यालय से दूरी और बंगाल सीमा से सटे होने के कारण सरायकेला- खरसावां जिले के तिरुलडीह थाना क्षेत्र के बालू माफियाओं पर न तो सरकारी आदेश का असर है, न ही जिला पुलिस- प्रशासन का. आलम ये है कि बालू माफियाओं का आतंक इलाके में सर चढ़कर बोल रहा है, और बालू माफिया सरकारी राजस्व की जमकर लूट कर रहे हैं. मगर क्या ये सबकुछ आसानी से हो रहा है ! यदि हां, तो सरकारी राजस्व की रक्षा की जिम्मेदारी किसकी है, इसे समझने की जरूरत है.
जिला खनन पदाधिकारी पर चांडिल एसडीओ ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए उपायुक्त को शिकायत की है. उपायुक्त द्वारा एक जांच कमेटी भी गठित की गई है. संभवतः जांच टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट भी समर्पित कर दी गयी है. रिपोर्ट में जिला खनन पदाधिकारी पर बालू माफियाओं से सांठगांठ साबित होने के बाद भी जिला खनन पदाधिकारी चैन की बंशी बजा रहे हैं. तिरुलडीह थाना प्रभारी बालू की रात को हो रहे चोरी रोक पाने में इसलिए विफल हैं, क्योंकि तिरुलडीह नक्सल प्रभावित थाना है. सीओ- बीडीओ तबतक कार्रवाई नहीं करेंगे, जबतक उन्हें सुरक्षा नहीं मिलेगी. अब सवाल यह उठता है, की आखिर सरकार के आदेश का पालन होगा कैसे ?
उधर रात के अंधेरे में बालू माफिया क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं. जिसका जीता – जागता उदाहरण आप इन तस्वीरों में देख सकते है. बालू माफिया ट्रैक्टर के सहारे धड़ल्ले से बालू का उठाव कर रहे हैं. जब मीडियाकर्मी बालू माफियाओं की करतूतों को उजागर करते हैं तो थाना प्रभारी सक्रिय हो जाते हैं और मीडियाकर्मी को झूठे मुकदमे में फंसा देते हैं ऐसा पूर्व में हो चुका है. एसपी- एसडीपीओ में इतनी हिम्मत नहीं कि वे थानेदार को पूछ सकें कि क्या हो रहा है. वैसे सवाल कोल्हान डीआईजी पर भी उठ रहे हैं. सरायकेला अनुमंडल में संचालित होने वाले अवैध धंधों पर पैनी नजर रखनेवाले डीआईजी की चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में संचालित होनेवाले अवैध धंधों पर क्यों नहीं पड़ रही. क्या उनका तंत्र यहां विफल हो रहा है, या खेला कुछ और चल रहा है ?