जमशेदपुर (Charanjeet Singh Exclucive)
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति में टेंडर घोटाला, कमीशनखोरी का खेल धड़ल्ले से हो रहा है. सारे नियम कानून को ताक पर रखकर स्थानीय अधिकारी सीधे सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. इन्हें देखने वाला कोई नहीं. ऐसे करनामों को लेकर चर्चा में रहने वाली जेएनएसी में ताजा मामला फिर चर्चा का विषय बना हुआ है.
दरअसल, सोमवार को जेएनएसी से एमजीएम अस्पताल की पार्किंग के लिए टेंडर निकाला गया था. इसकी वैल्यू डेढ़ लाख रूपये रखी गई थी, लेकिन कमीशनखोरी के खेल में अफसरों ने इसका बंदरबांट कर दिया और ठेकेदारों को बोली ही नहीं लगाने दी. अधिकारीयों के इशारे पर चेहते ठेकादारों ने 45- 45 हजार रूपये देकर 10 को बैठा दिया गया और डाक की तर्ज पर जेएनएसी परिसर के बाहर 1.60 लाख में ही टेंडर करीबी को दे दिया गया.
विश्वनीय सूत्र बताते हैं कि जिस फर्म को टेंडर मिला, उसने भी एक महुआ शराब विक्रेता को पार्किंग संचालन को दे दिया है. कुल मिलाकर कहा जाये तो तथाकथित टेंडर में पारदर्शिता करके नियमों की धज्जियां उड़ाई गई. जानकर बताते हैं कि अगर टेंडर प्रक्रिया के तहत बोली होती तो आठ लाख तक की ऊंची बोली पार्किंग के लिए लग सकती थी, और सरकार को साढ़े चार लाख तक का राजस्व प्राप्त होता.
अभी जेएनएसी में स्पेशल ऑफिसर संजय कुमार नए आए हैं. सोमवार को जब अधीनस्थ पदाधिकारियों ने यह खेल रचा उस वक्त स्पेशल ऑफिसर सीएम की ड्यूटी पर थे. ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि उन्हें भी अंधेरे में रखा गया हो. अगर इस प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है.
टेंडर में 11 ठेकेदारों ने लिया था भाग
सूत्रों के अनुसार टेंडर की प्रक्रिया में 11 ठेकेदार भाग लेने के लिए आए थे. इनमें कांग्रेस नेता शिबू सिंह की तीन फर्म, संजय ठाकुर, शशि कुमार, संदीप पांडे, बलराम मिश्रा, श्याम सिंह, एनएस कंस्ट्रक्शन, गुड्डू सिंह शामिल हैं. इन्हें बोली लगाने का मौका ही नहीं दिया गया. विभाग के दिग्गज ठेकेदार संजय ठाकुर व शिबू सिंह ने किसी को बोली लगाने का मौका ही नहीं दिया और 45- 45 हजार देकर दस ठेकेदारों का मुंह बंद कर दिया गया. अब जेएनएसी में जो गलत ट्रेंड शुरू हुआ है उसकी चर्चा जोरों पर है. खुद ठेकेदार भी इसे गलत मानते हैं, लेकिन रोजी- रोटी के लिए खुलकर विरोध नहीं कर रहे हैं. नाम ना छापने की शर्त पर दो ठेकेदारों ने indianewsviral.co.in को इसका खुलासा किया. सिटी मैनेजर रवि भारती ने बताया कि टेंडर किसी को भी खैरात में नहीं दिया गया है. टेंडर प्रक्रिया को नियम के तहत पूरा किया गया है. अगर ऐसा होता तो कदमा का टेंडर भी किसी को भी दिया जा सकता था. अब सूत्र बताते हैं कि अगर टेंडर प्रक्रिया का पालन किया गया होता तो पहली डाक 1.58 लाख नियम के तहत कभी भी नहीं जाती. रही बात कदमा के टेंडर कि तो वहां छोटी पार्किंग होने के कारण किसी भी चहेते ठेकेदार ने इसमें रूची ही नहीं ली थी. आपको बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब जेएनएसी में ऐसा झोल- झाल हुआ हो. कुछ माह पहले टेंडर के दौरान खाली टेंडर पर 5 की जगह 50 हजार की डीडी भरने और टेबुल के नीचे से हो रहे टेंडर खेल का खूब विरोध हुआ था, हालांकि मामले को अधिकारीयों ने दबा दिया था. अब देखना यह है कि नए स्पेशल ऑफिसर इस मामले को भी दबा देते हैं या फिर इसकी जांच कर सरकार को राजस्व देने का प्रयास करेंगे, जिसके लिए सरकार ने उन्हें यहां भेजा है.
क्या कहते हैं जेएनएसी के स्पेशल ऑफिसर
इस संबंध में जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमिटी के स्पेशल ऑफिसर संजय कुमार ने बताया कि एमजीएम पार्किंग का टेंडर में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. ठेकेदार ने बोली लगाई थी, तभी 1.58 लाख का रेट गया है. आपको जिसने भी जानकारी दी है वह बिल्कुल गलत है.