खरसावां: सरायकेला जिले के
कुचाई प्रखंड के सुदूरवर्ती पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्र स्थित काड़ेरांगो गांव आजादी के 70 दशक और झारखंड गठन के दो दशक बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आजादी के कई दशक गुजर जाने के बाद भी विकास की किरणें इस गांव तक नही पहुच पाई है. सरकारी दावों की पोल इसी बात से खुल रही है कि आजादी के सत्तर दशक बाद भी आज तक इस गांव में सड़क, पानी, बिजली एवं शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नही पहुच पाई है.
सरकारी आकडों के अनुसार इस गांव में मध्य विद्यालय काड़ेरांगो संचालित है. जिसमें एक सरकारी शिक्षक सुखदेव महतो के भरोसे लगभग 17 छात्र- छात्राएं पठन- पाठन कर रहे है. बच्चों के के लिए पक्का स्कूल भवन नही है. एक निजी मिटटी के कमरे में स्कूल संचालित है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रहा है. काड़ेरांगो स्थित मध्य विद्यालय के भवन में सिर्फ मिटटी के कुछ अंश दिखाई देते हैं. ग्रामीणों की माने तो काड़ेरांगो स्कूल के छात्र- छात्राए कभी मध्यान भोजन का स्वाद नही चखा है और न ही शिक्षक का चेहरा देखा है. यह भवनहीन स्कूल सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है. इस गांव में पानी पीने के लिए एक भी हैडपंप नही है. गांव के लोग चुआं के पानी पर गुजर बसर करने को मजबुर है.
वही गांव तक जाने के लिए सड़क भी नही है. गांव में बिजली की किरण परीलोक के स्वप्न की तरह हैं. सैकडों की संख्या में काड़ेरांगो गांव में रहने वालो परिवार आजादी के 70 दशक गुजार जाने के बाद भी विकास का मायनें नही समझ पाये है. काड़ेरांगो गांव में आज तक किसी भी प्रशासनिक पदाधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि ने पांव नही रखा है.
खेती व वनोपजो पर आश्रित है ग्रामीण
काड़ेरांगो गांव के ग्रामीणों का जीविकापार्जन खेती और वनोपजो पर आश्रित है. सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्र के ग्रामीण गोडा धान, खरीफ धान, अरहर, सरसो, दाल, उरद, कुरथी, सुतरी, चना, मकई, बजरा की खेती पर निर्भर है. वही वनाश्रित चिरौंजी, महुआ, डोरी, साल-पता, केंदु पत्ता, दातुवान, सूखी लकड़ी, आम, जामुन, आदि वनोपजो पर आश्रित है.
काड़ेरांगो में नही पहुची बिजली, डिबरी युग में जीने को विवश
एक और जंहा पूरे देश में घर- घर बिजली पहुचाने का काम हो रहा है. दूसरी और कुचाई का काड़ेरांगो गांव बिजली से वंचित है. इस गांव का दुर्भाग्य ये है कि आजादी के 75 सालों के बाद काड़ेरांगो में बिजली नही पहुच पाई है. आज भी गांव के लोग लालटेन और डिबरी के युग में जीने को विवश है. बच्चे धुंआ छोड़ने वाली डिबरी में पढ़ने को मजबूर है. आज भी ग्रामीण रोशनी की एक किरण को ले सपने सजाए बैठे है.
चुआं के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर ग्रामीण
कुचाई के काड़ेरांगो विकास से कोसो दूर है. इस गांव के लगभग 600 ग्रामीण चुआं के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर है. सरकार की ओर से न तो चुआं बनवाया गया, न ही हैडपंप लगवाया गया. ग्रामीण श्रमदान कर चुआं खोदते है और अपनी प्यास बुझाते है.
जंगल के रास्ते से गुजरते है ग्रामीण
कुचाई प्रखंड मुख्यालय से लगभग 20 किलो मीटर दूर स्थित गोमेयाडीह पंचायत के काड़ेरांगो गांव तक पहुच का कोई मार्ग नही है. ग्रामीणों को चिकित्सा व अन्य सुविधाओं के लिए जंगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है. ग्रामीणों के अनुसार कुचाई के गोमेयाडीह से मिट्टी और जंगल के रास्ते से हतनाबेडा होते हुए लोटाडीह पहुच सकते है. वही लोटाडीह से काड़ेरांगो तक लगभग तीन किलोमीटर तक कोई सड़क नही है. ग्रामीणों जंगल के रास्ते से आवाजाही करने को मजबूर है. इसके अलावे गुटूहातु, सेलाघाटी, छातनी, बडागडीह मार्ग से काड़ेरांगो जा सकते है. इसके लिए भी जंगल का रास्ता अपनान पड़ता है.
ग्रामीण गलत रास्ता अख्तियार करने को विवश: सोहन
झारखंड जंगल बचाओ आन्दोलन के झारखंड प्रभारी सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि आजाद भारत के 75 सालों के बाद भी काड़ेरांगो गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आज तक जिला प्रशासन और सरकार का ध्यान इस काड़ेरांगो तक गया नही है. आज ग्रामीण गलत रास्ता अख्तियार और पलायन करने को विवश है. काड़ेरांगो तक पहचने का कोई साधन नही है. स्वास्थ की कोई व्यवस्था नही होने से ग्रामीण ओझा- गुणी व अंधविश्वास के चक्कर में पड जाते है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
मामले की जाच कर होगी कार्रवाई: बीईईओ
कुचाई के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी वचन लाल यादव ने कहा कि मध्य विद्यालय काड़ेरांगो तक जाने का कोई रास्ता नही है. रही बात शिक्षक के नही आने और मध्याह्न भोजन नही चलने की शिकायत की जांच होगी. इसके बाद ही कार्रवाई किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री करते हैं यहां का प्रतिनिधित्व
भारत सरकार में आदिवासी कल्याण मंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. खूंटी लोकसभा में पड़नेवाले इस गांव में विकास की किरण नहीं पहुंचना कहीं न कहीं केंद्रीय मंत्री के साख पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है. वर्तमान झारखंड सरकार के महत्वाकांक्षी योजना आपकी सरकार, आपके अधिकार आपके द्वार पर भी सवाल उठ रहे हैं.