गया (Pradeep Kumar Singh) शहर के नगर प्रखंड चंदौती अंतर्गत कोसडीहरा गांव के ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बार- बार एक ही गांव की भूमि को अधिग्रहण किये जाने का कड़ा विरोध किया. सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मियों के साथ पहुंचे अधिकारियों के समक्ष ग्रामीण जमीन पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.
ग्रामीणों की एकजुटता को देखकर पुलिसकर्मी भी बैकफुट पर आ गए. जिसके बाद मौके पर पहुंचे वरीय अधिकारियों ने ग्रामीणों को जिलाधिकारी से वार्ता करने की सलाह दी. ग्रामीणों का एक शिष्टमंडल गया के जिलाधिकारी डॉ. एसएम त्यागराजन से मिला. जिलाधिकारी के निर्देश के बाद पुलिसकर्मियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा.
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इस संबंध में कोसडीहरा गांव निवासी राज रंजन सिंह चौहान ने बताया कि वर्ष 2012 में गांव की कुछ भूमि का सरकार ने अधिग्रहण किया था. सरकार द्वारा उक्त भूमि पर अधिकारियों का प्रशिक्षण संस्थान खोला जाना है. लगातार चार बार हमलोग अपनी भूमि दे चुके हैं. बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारी और भूमि अधिग्रहण करने को लेकर दबाव बना रहे हैं. इतना ही नहीं पुराने रेट के हिसाब से हमें मुआवजा दिया जा रहा है. जो कहीं से सही नहीं है. वर्तमान समय में उक्त भूमि का रेट बहुत ज्यादा बढ़ गया है. हमारी मांग है कि उक्त भूमि का हमें उचित मुआवजा दिया जाए. ताकि हम लोग भी अपना जीवन यापन कर सके. अगर सरकार लगातार हमारी भूमि का अधिग्रहण करती रही तो हमलोग और हमारे बच्चे कहां जाएंगे ? उन्होंने कहा कि आज गांव में आये अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण करने के लिए दबाव बनाया. जिसके बाद हमलोग जिलाधिकारी डॉ. एसएम त्यागराजन से मिले. सारी बातें सुनने के बाद जिलाधिकारी ने आगे बैठक कर बीच का रास्ता निकालने की बात कही है. जिसके बाद गांव में आए पुलिसकर्मी एवं अधिकारी वापस लौट गए हैं. हमारी मंशा सरकारी कार्य में किसी तरह की दखलंदाजी नहीं है. हमलोग सिर्फ अपनी भूमि का कमर्शियल रेट के हिसाब से मुआवजा चाहते हैं.
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राज रंजन सिंह चौहान (कोसडीहरा गांव निवासी)
वहीं कोसडीहरा गांव निवासी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि आज अचानक सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी पहुंच गए. उनके साथ नगर प्रखंड चंदौती के अंचलाधिकारी राजीव रंजन, एडीएम एवं मगध मेडिकल थानाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार सहित अन्य कई अधिकारी भी शामिल थे. वे लोग जेसीबी चलाकर पिलर गाड़ने की कवायद करने लगे. इसकी जानकारी मिलते ही सारे ग्रामीण स्थल पर पहुंचे और इसका विरोध किया. उनके समक्ष हमलोगों ने यह बताया कि हमारा मामला पटना हाईकोर्ट में चल रहा है. बावजूद इसके वे लोग कुछ सुनने को तैयार नहीं थे. फिर उन्होंने जिलाधिकारी से मिलकर बात करने की सलाह दी. जिसके बाद जिलाधिकारी को हमलोगों के द्वारा लिखित आवेदन दिया गया और उचित करवाई की बात कही गई. जिलाधिकारी के आदेश पर प्रशासनिक अधिकारी दल-बल के साथ लौट गए. उन्होंने कहा कि कोसडीहरागांव का भूखंड मात्र 365 एकड़ का रकवा है. चार बार पूर्व में हमलोग अपनी जमीन दे चुके हैं. अब पांचवी बार प्रशासनिक अधिकारी जमीन लेना चाहते हैं. जब सारी जमीन ही चली जाएगी तो आखिर हम लोग कहा रहेंगे? हमारी मांग है कि बार-बार एक ही गांव की भूमि का अधिग्रहण बंद किया जाए. साथ ही कोर्ट का आदेश आने तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं किया जाए. अचानक एक साथ सैकड़ों की संख्या में पुलिस के आ जाने से गांव के लोग भयभीत हैं.
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शैलेन्द्र सिंह (कोसडीहरा निवासी)