सरायकेला (Pramod Singh) क्षेत्र के प्रसिद्ध परंपरागत रथ यात्रा के पांचवें दिन हेरा पंचमी के अवसर पर रथभागिनी पर मंगलवार की देर शाम मान्यता अनुसार कुपित माता लक्ष्मी श्री मंदिर से मौसी बाड़ी पहुंची. जहां मौसी बाड़ी के मुख्य द्वार पर खड़े महाप्रभु श्री जगन्नाथ के नंदीघोष रथ को क्रोधित माता लक्ष्मी ने तोड़ डाला.
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माता लक्ष्मी के क्रोध को शांत करने के लिए पंडित ब्रह्मानंद महापात्र सहित पुजारियों के दल ने मंत्रोच्चार के बीच माता लक्ष्मी की वंदना एवं प्रार्थना करते हुए उनके क्रोध को शांत किए. और उसके बाद माता लक्ष्मी को विधि विधान के साथ श्री मंदिर पहुंचाए.
धार्मिक मान्यता रही है कि कलियुग के जीवंत देव के रूप में पूजे जाने वाले महाप्रभु श्री जगन्नाथ रथ यात्रा कर लोगों को रक्त बंधन के संबंधों के महत्व का संदेश देते हैं. जिसमें अस्वस्थता के बाद स्वस्थ होकर हवा खोरी के लिए अपने पत्नी माता लक्ष्मी को बिना सूचना दिए हुए अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ रथ यात्रा कर मौसी बाड़ी जाते हैं. श्री मंदिर में महाप्रभु श्री जगन्नाथ को ना पाकर माता लक्ष्मी क्रोधित होकर उन्हें तलाशती हुई मौसी बाड़ी पहुंचती है. जहां बहु होने के नाते बिना आमंत्रण मौसी बाड़ी में प्रवेश नहीं कर पाती हैं. और गुस्से में मौसी बाड़ी के मुख्य द्वार पर खड़े महाप्रभु श्री जगन्नाथ के नंदीघोष रथ को तोड़ डालती हैं.
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