राजनगर: सरायकेला- खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय भईयांनाचना के स्कूली बच्चे इन दिनों पेजल संकट से जूझ रहे हैं. गर्मी के मौसम में पेयजल संकट बड़ा संकट होता है. मगर यदि स्कूली बच्चों को शुद्ध पेयजल न मिले तो इसके लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
हालांकि कुछ दिनों पहले भी हमने अपने वेबसाइट के माध्यम से सरकार और प्रशासन का इस दिशा में ध्यान आकृष्ट कराया था, मगर सरकार और प्रशासन ने हमारी खबरों को गंभीरता से नहीं लिया. नतीजा बच्चे आज भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं.
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बता दें कि क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है लगभग सभी गांव के चापाकल सूख चुके हैं. बच्चों को स्कूल आना है, मगर यदि बच्चों को प्यास लगी तो उसके लिए स्कूल से बाहर गांव में लगे चापाकल पर आश्रित रहना पड़ता है. जाहिर सी बात है गर्मी पड़ेगी तो हलक सूखेगे ही बच्चे पढ़ें या पानी के लिए गांव की तरफ जाए. खासकर छात्राएं यदि विद्यालय से बाहर निकलती है, तो उसकी सुरक्षा का जिम्मा कौन लेगा.
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प्रेम कुमार प्रामाणिक (छात्र)
चूंकि स्कूल परिसर स्थित चापाकल कई वर्षों से खराब पड़ा हुआ है. पानी निकलता है, लेकिन लाल रंग का पानी निकलता है, जो कि पीने लायक नहीं है. विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक सिमल किस्कू ने बताया कि स्कूल के चापाकल से आयरन पानी निकलता है, जो पीने योग्य नहीं है. बच्चे मध्याह्न भोजन के बाद स्कूल से डेढ़ सौ मीटर दूर लगी सोलर पानी टंकी का पानी पीते हैं व हाथ धोते हैं. जहाँ से ग्रामीण पानी लेते हैं. पेयजल के लिए बच्चों को काफी दिक्कत हो रही है.
बाईट– सिमल किस्कू (प्रभारी प्रधानाध्यापक)