ब्यूरो प्रमुख प्रमोद सिंह की रिपोर्ट
सरायकेला: 24 घंटे से भी कम वक्त रह गया है, सोमवार को सरायकेला खरसावां जिला को नया जिला परिषद अध्यक्ष मिलेगा. मगर जिला परिषद अध्यक्ष कौन होगा, इस पर संशय अभी भी बरकरार है. राजनीतिक पंडितों की अगर माने तो बिसात के मोहरे तय हो चुके हैं. बस चाल चलना बाकी है. मतलब अगला जिला परिषद अध्यक्ष तय हो चुका है, बस चुनाव का इंतजार है.
चुनाव 13 जून यानी सोमवार को होना है. आखिर कौन होगा जिला परिषद अध्यक्ष ! इसे आंकड़ों के हिसाब से समझने की जरूरत है.
जानें विजयी जिला परिषद की स्थिति
सरायकेला- खरसावां जिले में कुल 17 जिला परिषद सीट हैं. इस बार लागभग सभी सीटों पर उलटफेर देखने को मिला है. सबसे बड़ा उलटफेर दो बार जिप अध्यक्ष रही शकुंतला महाली की हार से हुई है. जिला परिषद भाग एक ईचागढ़ पूर्वी से सुभाषिनी देवी ने जीत दर्ज किया है. सुभाषिनी आजसू समर्थित प्रत्याशी मानी जाती है. वहीं ईचागढ़ भाग दो से ज्योति माझी ने जीत दर्ज किया है. ये पत्थलगड़ी समर्थक माने जाते हैं. फिलहाल इन्हें निर्दलीय कहा जा सकता है. कुकड़ू भाग तीन से मधुश्री महतो ने जीत दर्ज की है. मधुश्री आजसू समर्थित प्रत्याशी मानी जाती है. मगर इनका बैकग्राउंड झामुमो का रहा है. झामुमो का दावा है कि उन्हें मधुश्री का समर्थन मिलेगा. नीमडीह भाग 4 से असित सिंह पातर ने जीत दर्ज की है. ये आजसू समर्थित प्रत्याशी हैं. चांडिल पूर्वी भाग 5 से पिंकी लायक ने जीत दर्ज किया है. पिंकी को झामुमो का समर्थन प्राप्त है. वही चांडिल पश्चिम भाग 6 से सविता मार्डी ने जीत दर्ज की है. इन्हें निर्दलीय के रूप में देखा जा सकता है. उधर कुचाई भाग 7 से जिंगी हेंब्रम ने जीत दर्ज की है जिंगी आजसू- भाजपा समर्थित प्रत्याशी है. खरसावां भाग 8 से सावित्री बानरा ने जीत दर्ज की है. सावित्री को भाजपा का समर्थन प्राप्त है. खरसावां भाग 9 से कालीचरण बानरा ने जीत दर्ज की है. कालीचरण बानरा को झामुमो का समर्थन प्राप्त है. वही सरायकेला भाग 10 से सोनाराम बोदरा ने जीत दर्ज की है. सोनाराम बोदरा को झामुमो का समर्थन प्राप्त है. उधर सरायकेला भाग 11 से लक्ष्मी देवी ने जीत दर्ज की है. लक्ष्मी को भी झामुमो का समर्थन प्राप्त है. वहीं गम्हरिया भाग 12 से पिंकी मंडल ने जीत दर्ज की है. पिंकी मंडल को झामुमो का समर्थन प्राप्त है. गम्हरिया भाग 13 से शंभू मंडल ने जीत दर्ज की है. उन्हें भाजपा का समर्थन प्राप्त है. गम्हरिया भाग 14 से स्नेहा रानी महतो ने जीत दर्ज की है. स्नेहा भाजपा की बेटी और झामुमो की बहू है. उन्हें किसका समर्थन प्राप्त है, इसका सटीक आंकलन करना संभव नहीं है. उन्होंने कड़े मुकाबले में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी झामुमो समर्थित प्रत्याशी माणिक गोप को हराया है, उनके जेठ झामुमो के जिलाध्यक्ष हैं. जबकि राजनगर भाग 15 से मालती देवगम ने जीत हासिल की है उन्होंने भाजपा समर्थित उम्मीदवार दो बार जिला परिषद रही चामी मुर्मू को हराया है. उन्हें झामुमो का समर्थन प्राप्त है. इधर राजनगर भाग 16 से सुलेखा हांसदा ने प्रचंड जीत दर्ज की है. उन्हें भी झामुमो का समर्थन प्राप्त है. वही राजनगर भाग 17 से अमोदिनी महतो ने जीत दर्ज की है. अमोदिनी खतियानी आंदोलन की देन हैं. उन्हें भाजपा- आजसू का समर्थन प्राप्त है. इस तरह से आंकड़ों पर अगर हम गौर करें तो भाजपा- आजसू और झामुमो- कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी का पलड़ा समान नजर आ रहा है. दो निर्दलीयों की भूमिका अहम रह सकती है. वैसे अबतक आंकड़ों के आधार पर प्रबल दावेदार के रूप में असित सिंह पातर और सोनाराम बोदरा के बीच मुकाबला होता नजर आ रहा है. सोनाराम बोदरा मंत्री चंपई सोरेन के करीबी माने जाते हैं. माना जा रहा है कि सोनाराम बोदरा आंकड़ों के गणित को साध चुके हैं.
सोनाराम बोदरा के मामले में मंत्री चंपई सोरेन किंगमेकर की भूमिका निभा चुके हैं. हालांकि पर्दे के पीछे का खेल अभी भी जारी है, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो भी अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.
भाजपा आजसू खेमे में
असित सिंह पातर, सुभाषिनी देवी, स्नेहा रानी महतो, अमोदिनी महतो, शंभु मंडल, जींगी हेम्ब्रम, सावित्री बानरा
निर्दलीय
ज्योति माझी, सविता मार्डी,
झामुमो- आजसू खेमे में
सोनाराम बोदरा, कालीचरण बानरा, लक्ष्मी देवी, पिंकी मंडल, मालती देवगम, सुलेखा हांसदा, पिंकी लायक, मधुश्री महतो (शंशय)
इस स्थिति को देखकर साफ हो गया है कि पलड़ा का झुकाव झामुमो गठबंधन की ओर है. सोनाराम बोदरा का दावा है कि उनके पास 11 जिला पार्षदों का समर्थन है. सोनाराम बोदरा मंत्री चंपई सोरेन के खास माने जाते हैं. मगर विपक्षी एकता को साधने में मंत्री चंपई सोरेन कितने सफल साबित होंगे यह तो सोमवार को ही पता चलेगा.
भाजपा आजसू के लिए मौका
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त भाजपा- आजसू के लिए एक सबक रही है. ऐसे में यहां एकता प्रदर्शित करने का एक मौका हो सकता है, क्योंकि एसटी ST आरक्षित है. ऐसे में एकमात्र प्रबल दावेदार के रूप में असित सिंह पातर विपक्ष के प्रत्याशी हो सकते हैं. यदि दो निर्दलीय को भाजपा- आजसू अपने पाले में करने में सफल रहती हैं, तो असित सिंह पातर मुकाबले में कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं.
उपाध्यक्ष की रेस में स्नेहा- अमोदिनी, निर्दलीय भी कर सकते हैं सौदेबाजी
वहीं उपाध्यक्ष के चयन को लेकर भी लॉबिंग तेज है. गम्हरिया भाग 14 से स्नेहा रानी महतो का केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और रांची सांसद संजय सेठ से मुलाक़ात करना इस रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है. उधर अमोदिनी महतो भी दावेदारी पेश कर सकती है, जबकि शंभु मंडल, पिंकी मंडल और पिंकी लायक भी रेस में शामिल हैं. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि उपाध्यक्ष पद के लिए भी रस्साकस्सी तेज है. उम्मीदवार अपने गणित के अनुसार दांव- पेंच की जुगत में जुटे हैं. सौदेबाजी से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. इसकी भी चर्चा जोर शोर से चल रही है.
वैसे तो पंचायत चुनाव पार्टी आधारित चुनाव नहीं था, मगर राजनीतिक दलों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. हर जीता हुआ सदस्य किसी न किसी राजनीतिक दल से सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से जुड़े हैं. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का सबसे अहम पद जिला परिषद अध्यक्ष का होता है. इसमें खुलकर राजनीतिक जोड़-तोड़ और सियासी दांवपेच देखने को मिलते हैं. सरायकेला- खरसावां जिला में भी इन दिनों ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर झामुमो- कांग्रेस गठबंधन तो दूसरी ओर आजसू- भाजपा की जुगलबंदी कहीं ना कहीं मुकाबले को रोचक मोड़ पर ले आया है. पलड़ा किसका भारी है, इस पर बना संशय कुछ हद तक साफ होता नजर आ रहा है. वैसे आंकड़ों के लिहाज से आजसू- भाजपा भले झामुमो- कांग्रेस की तुलना में आगे हो मगर राजनीति में उठापटक और उलटफेर की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है. राजनीति के गलियारों से जो बातें छनकर सामने आ रही है, उस लिहाज से झामुमो- कांग्रेस गठबंधन का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा है. वैसे जिले की अगर हम बात करें तो एक केंद्रीय मंत्री एक राज्य के मंत्री तीन विधायक और तीन सांसदों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. एक ओर जहां गठबंधन की राजनीति साधने में माहिर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो की जुगलबंदी हिलोरे मार रही है, तो दूसरी तरफ अपनी धुन के धनी मंत्री चंपई सोरेन किसी कीमत पर इस बार जिला परिषद अध्यक्ष पद भाजपा- आजसू के पाले जाने नहीं देना चाह रहे हैं. सूत्रों की अगर मानें तो मंत्री चंपई सोरेन विपक्षी खेमे में सेंधमारी करने में कामयाब हो चुके हैं. वैसे जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. संभवत बड़े पदाधिकारी पर गाज गिर सकती है. हालांकि राजनीति में संभावनाओं की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है निजी महत्वाकांक्षा कई बार पार्टी हित पर भारी पड़ती रही है. संभवत: इस बार भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल सकता है.