सरायकेला: पॉस्को कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में 12 लोगो को दोषी करार देते हुए सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. पॉस्को कोर्ट के स्पेशल जज अमित शेखर ने सभी आरोपियों को धारा 323, 341, 342, 354, 354(a), 354(b), 376(d), 395, 504, 506, 34 आईपीसी और पोस्को सेक्शन 6 व 10 के तहत दोषी पाते हुए यह निर्णय सुनाया है.
बता दें कि 28 अगस्त 2019 को जमशेदपुर के साकची स्थित लालजी होटल से अपने मित्र अर्शदीप के साथ फॉर्च्यूनर गाड़ी से रात्रि 8:00 बजे निकली नाबालिक के साथ सरायकेला- खरसावां जिला के चांडिल थाना अंतर्गत कपाली ओपी क्षेत्र के मरीन ड्राइव में सामूहिक दुष्कर्म की घटना घटित हुई थी. दुष्कर्मियों ने नाबालिक के मित्र अर्शदीप को मारपीट कर भगा दिया था, और उसके साथ सामुहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. इस संबंध में चांडिल थाने में पोस्को एक्ट 52/ 19 के तहत 106/ 19 दर्ज किया गया था. मामले के अनुसंधान एवं दस्तावेजों व साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने रमेश कुमार सिंह उर्फ पिंटू, वृंदावन कुम्हार उर्फ साधु, वीरेंद्र महाली उर्फ फांची, परशुराम महाली, रमेश कुमार, महादेव कुम्हरा, राजेश कुमार सिंह, सुखेंन सिंह सरदार, महेश्वर सिंह सरदार, बद्रीनाथ सिंह सरदार, सन्यासी दास और गुरुधर महाली को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. इनमें से महेश्वर सिंह सरदार जमानत पर था, जिसे पिछली तारीख में जुर्म साबित होने के बाद हिरासत में ले लिया गया था.
मामले में पीड़िता की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक पोस्को अशोक कुमार राय ने बताया कि सुनवाई के दौरान 31 गवाहों ने अपनी गवाही दी. इसमें पीड़िता के पक्ष से लोक अभियोजक ने 29 डॉक्यूमेंट एवं 16 साक्ष्य प्रस्तुत किए थे, जबकि आरोपियों की ओर से कोई पैरवी नहीं की गई. श्री राय ने बताया कि धारा 376 D एवं पोस्को एक्ट की धारा 6 के तहत सभी आरोपियों को अंतिम सांस तक यानी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है. अर्थदंड अदा नहीं करने की सूरत में 2 साल अतिरिक्त साधारण कारावास एवं धारा 395 के तहत सभी को 10 साल की सजा सुनाई गई है. साथ ही दस हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है. जुर्माना अदा नहीं करने की सूरत में 1 वर्ष अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है. उन्होंने बताया कि दोनों सजाएं साथ- साथ चलेगी. जुर्माने की राशि पीड़िता को दिया जाएगा.
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अजय राय (लोक अभियोजक पीड़ित पक्ष)