सरायकेला: झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अंतिम पड़ाव की ओर है. 27 मई को चौथे और अंतिम चरण का मतदान होना है. पूरे राज्य में संपन्न हुए 3 चरणों का चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया. चौथे चरण में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जिलों में चुनाव होना है.
इधर जान जोखिम में डालकर चुनाव संपन्न कराने वाले पुलिसकर्मियों एवं पदाधिकारियों का दर्द उभर कर सामने आया है. दबी जुबान से पुलिसकर्मी यह कहते सुने जा रहे हैं, कि उनकी तरह प्रशासनिक पदाधिकारियों एवं कर्मियों की भी चुनावी ड्यूटी लगती है, मगर उन्हें मतदान केंद्र में जाने से पहले ही भत्ते का भुगतान कर दिया जाता है, वहीं अपनी जान जोखिम में डालकर निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव संपन्न कराने के बाद महीनों तक उन्हें भत्ते का भुगतान नहीं मिलता है.
सरायकेला- खरसावां जिले में पंचायत चुनाव दो चरणों में संपन्न हो गया चौथे चरण के लिए जिले से आठ कंपनियां (करीब 450 जवान और अधिकारियों को) कोडरमा, खूंटी चतरा और पलामू में चुनाव संपन्न कराने हेतु कमान काटी गई है. इससे पूर्व दूसरे चरण में यहां के जवानों ने चाईबासा जिले में चुनाव ड्यूटी में हिस्सा लिया था. कहीं से भी उन्हें चुनावी भत्ता नहीं मिला. अब नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लिए उनकी ड्यूटी लगी है.
इस संबंध में सरायकेला- खरसावां पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक रंजन चौधरी ने बताया, कि चुनावी ड्यूटी में लगे जवानों एवं अधिकारियों के मामले में दोहरा मानदंड अपनाना सही नहीं है. इससे जवानों का मनोबल टूटता है. जवान और अधिकारी अपनी जान जोखिम में डालकर निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव संपन्न कराते हैं. ऐसे में यदि समय पर उन्हें भत्ता नहीं मिलेगा, तो उनका मनोबल गिरेगा. उन्होंने बताया कि इस संबंध में एसपी को अवगत करा दिया गया है. उन्होंने बताया कि जिन मतदान कर्मियों को चुनावी ड्यूटी में तैनात जवान और अधिकारी सुरक्षित मतदान केंद्र से लेकर स्ट्रांग रूम तक सुरक्षा प्रदान करते हैं, उन्हें प्रशासनिक स्तर पर चुनावी ड्यूटी में जाने से पहले ही भत्ते का भुगतान कर दिया जाता है. मगर ड्यूटी के लिए नियुक्त जवानों एवं अधिकारियों को भत्ते के लिए महीनों इंतजार करना होता है. इसके लिए कोई अलग से भत्ता नहीं मिलता है, बल्कि टीए में एडजस्ट करना पड़ता है.