सरायकेला: सरायकेला जिला परिवहन कार्यालय इन दिनों अधिकारी नहीं दलाल चला रहे हैं. दलालों की चलती ऐसी कि वे कार्यालय के बाहर ही नहीं अंदर तक पकड़ रखते हैं.
एक- एक फ़ाइल उनके इशारे पर इधर से उधर होते हैं. अधिकारी के पास दो- दो जिलों का प्रभार होने के कारण वे उतना समय नहीं दे पाते, नतीजा कार्यालय के कर्मी और दलाल मिलकर हर दिन यहां लोगों को लूट रहे हैं. पैसे देकर यहां आप आसानी से हर काम करा लीजिये कोई पूछनेवाला नहीं.
आलम ये हो चला है कि पैसे के बिना फाइल आगे बढ़ती ही नहीं है. इसके एक नहीं अनेक उदाहरण मिल जाएंगे. कार्यालय का चक्कर काटकर लोग मजबूरी में दलालों का सहारा लेते हैं तब जाकर उनका काम होता है. दलाल मुंहमांगी कीमत वसूलते हैं और हिस्सा कहां तक जाता है ये हम आपपर छोड़ते हैं अंदाजा लगा लीजिये.
सूत्र बताते हैं कि परिवहन कार्यालय में करीब पांच से अधिक दलाल सक्रिय हैं. इनकी पहुंच कार्यालय की फाइलों तक हैं. कार्यालय में ये इतने घुलमिल चुके हैं, कि कुछ लोग इनको ही कर्मी मान लेते हैं. बता दें कि ड्राइविंग लाइसेंस डाक से भेजने का शुल्क देने के बाद भी वाहन मालिकों को लाइसेंस व आरसी बुक के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है. डाक शुल्क के रूप में जिला परिवहन कार्यालय इसके लिए वाहन मालिकों से 50 रुपये लेता है. इससे सरकार को लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. इसके बावजूद वाहन मालिकों को ड्राइविंग लाइसेंस व आरसी के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है. ऑनलाइन सिस्टम की वजह से कार्ड तैयार होते ही वाहन मालिकों को मैसेज प्राप्त हो जाता है. उसके बाद वे कार्ड का आवास पर पहुंचने का इंतजार करने लगते हैं. इसके नहीं पहुंचने पर वे जिला परिवहन कार्यालय का चक्कर काटने लगते हैं. यहां दलालों के चंगुल में फंस कर शोषण का शिकार होते हैं.
बिना टेस्ट लिए ही छह हजार में बनवा देते हैं ड्राइविंग लाइसेंस
सरायकेला परिवहन विभाग में लाइसेंस बनवाने सामान्य व्यक्ति को महीनों चक्कर लगाना पड़ता है, लेकिन बाहर बैठे एजेंट मोटी रकम लेकर यह काम बड़ी आसानी से करा देते हैं. इसके लिए बस लाइसेंस बनवाने वाले को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. यहां बगैर ड्राइविंग टेस्ट दिए ही टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर तक के लाइसेंस बनाए जाते हैं, इसके लिए छह हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं. लाइसेंस बनाने का दावा करने वाले दलाल तो यह भी दावा करते हैं कि इस काम के लिए क्लर्क से लेकर अफसर तक मोटी रकम पहुंचाते हैं. बुधवार को indianewsviral.co.in के प्रतिनिधि डीटीओ कार्यालय ग्राहक बनकर पहुंचे. जहां एजेंटों ने छ: हजार लेकर बिना ट्रायल लाइसेंस बनवाने की बात कही. एजेंटों ने बाकायदा इसके लिए दोगुना फीस भी तय कर रखा है, टू प्लस व फोर व्हीलर के लिए छ: हजार रुपए और टू व्हीलर लाइसेंस के लिए पांच रुपए, जो कि राज्य परिवहन विभाग के तय शुल्क से ज्यादा है. यह पूरा खेल परिवहन विभाग के संरक्षण में चल रहा है. यही वजह है, कि एजेंट को किसी तरह की कार्रवाई का कोई खौफ नहीं है. ड्राइविंग टेस्ट की परीक्षा में भले ही 99 फीसदी से अधिक लोग पास कर रहे हैं, लेकिन सड़क दुर्घटना में चालकों की लापरवाही 80 फीसदी से अधिक सामने आ रही है. इससे स्पष्ट है कि ड्राइविंग लाइसेंस की परीक्षा में ईमानदारी पूर्वक काम करने की जरुरत है.
डीटीओ दफ्तर के बाहर एजेंटों की भीड़
दफ्तर के बाहर अधिकांश एजेंट गुमटी से लेकर मकानों में फोटो कॉपी और ऑनलाइन पंजीयन के नाम से दुकान खोल रखे हैं. इनकी संख्या संख्या डीटीओ दफ्तर के बाहर आधा दर्जन है. प्रत्येक दुकानों में दो से तीन व्यक्ति पूरे दिन इन्हीं कामों में व्यस्त रहते हैं.
नौकरी से हटाने के बाद भी ऑपरेटर फाइलों से करता है छेड़छाड़
डीटीओ कार्यालय में पदस्थापित पूर्व ऑपरेटर सुशील रॉय का अनुबंध समाप्त होने के बाद भी सुशील रॉय हर दिन डीटीओ कार्यालय आता है और बगैर किसी रोकटोक के सरकारी फाइलों के साथ छेड़छाड़ करता है, जो एक गंभीर विषय है इसपर किसी का ध्यान न जाना भी अपने आप मे बड़ा सवाल है.
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