विशेष रिपोर्ट: प्रधानमंत्री बनते ही पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत और खुले में शौच मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया था, जिसके बाद देश के सभी भाजपा और गैर भाजपा शासित राज्यों के अधिकारी प्रधानमंत्री के सपनों को मूर्त रूप देने में जुट गए. देश खुले में शौच मुक्त देश घोषित हो गया, मगर जमीनी हकीकत यही है कि यह अभियान पूरी तरह से फेल साबित हुआ है.
हां इसकी आड़ में अरबों रुपए सरकारी खजाने से लूट लिए गए, जिसके अनेकों उदाहरण आपको देखने को मिल रहे होंगे. मगर सवाल यह है कि आखिर भारत सरकार के सरकारी खजाने से हुए बंदरबाट की जांच करेगा कौन ?
यहां एक ऐसा ही नजारा हमें देखने को मिला जो यह बताने के लिए काफी है कि किस हद तक प्रधानमंत्री के सपनों को उनके अधिकारियों ने तोड़ा है. भले प्रधानमंत्री को आज इस बात का आभास न हो मगर कल जनता इसका हिसाब जरूर लेगी. यहां जो तसवीर आपको हम दिखा रहे हैं.
देखें शौचालय की तस्वीरें
ये सरायकेला जिला के नीमडीह प्रखंड के झिमड़ी गांव से करीब एक किलोमीटर दूर खेत में बने शौचालय का है. जाहिर है कि ये शौचालय सरकारी पैसे से बने होंगे, मगर इसका प्रयोग कौन कर रहा है इसका अंदाजा आप स्वतः लगा सकते हैं. जिस शौचालय को घरों में बनाना था उसे खेत में बना दिया गया. शौचालय पास कराने के लिए जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक को जमीनी हकीकत की जांच करनी थी. मगर क्या हुआ उसका नजारा आप देख सकते हैं.
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वैसे यह तो महज एक झांकी है, पूरी फिल्म अगर देखने बैठेंगे तो शायद भ्रष्टाचार की कलाई परत दर परत खुलती चली जाएगी. हालांकि हमारे इस रिपोर्ट पर किसी तरह की कोई कार्यवाई होगी इसकी हम उम्मीद नहीं करते हैं, मगर हमें तसल्ली इस बात की होगी, कि हमने जमीनी सच्चाई जनता, जनप्रतिनिधि और सरकारी अधिकारियों तक पहुंचाने का काम किया है.
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स्थानीय जनप्रनिधि
बता दें कि सरायकेला जिला भी देश के दूसरे जिलों की तरह ओडीएफ जिला घोषित हो चुका है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि किस आधार पर जिला को ओडीएफ जिला घोषित किया गया. मतलब साफ है दिल्ली में बैठकर प्रधानमंत्री ने जो हसीन सपने देखे उसे अधिकारियों ने रंगीन बनाकर और हसीन बना दिया.