जमशेदपुर: झारखंड एवओरिजिनल कुड़मी पंच की ओर से कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने संबंधी याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार का पक्ष मांगा है.
याचिकाकर्ता डॉ विद्या भूषण महतो ने बताया कि कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने संबंधी मांग वे केंद्र और राज्य सरकार से पिछले 50 सालों से करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि 1913 की जनगणना में कुड़मी को जनजातीय समुदाय के रूप में नॉमिनेट किया गया. 1921 में मान्यता मिली, 1931 के जनगणना में कुड़मी को आदिम जनजाति के रूप में दर्ज किया गया. मगर 1950 के जनगणना में सामाजिक और राजनीतिक साजिश के तहत कुड़मी जाति का गलत व्यख्या देकर जनजातीय श्रेणी से बाहर कर दिया गया, जिससे समाज का विकास थम गया. डॉ विद्याभूषण ने बताया कि सरकार के पास ऐसे कोई अभिलेख नहीं है जिससे सरकार यह साबित कर सके कि कुड़मी आदिम जनजातीय समुदाय से नहीं आते हैं, जबकि उनके द्वारा गृह मंत्रालय, राष्ट्रपति सहित सभी विभाग को कुड़मी के जनजातीय समुदाय से होने संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने बताया जब कहीं से इंसाफ नहीं मिला तब उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने भरोसा जताया कि न्यायालय से उन्हें इंसाफ मिलेगा, तब जाकर कुड़मी जाति का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा.