सरायकेला: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव- 2015 में चुनाव के विरोध के बाद भी आजतक खरसावां पंचायत को पूर्ण अधिकार नहीं मिल सका है. वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में सरायकेला- खरसावां जिला में एक मात्र खरसावां पंचायत ऐसा था, जहां किसी भी प्रत्याशी ने नामाकंन नहीं किया था.
खरसावां पंचायत से नामाकंन नहीं करने के कारण इस पंचायत में एक मुखिया, दो पंचायत समिति सदस्य एवं 16 वार्ड सदस्य के पद खाली रह गये थे. बाद में चुनाव आयोग ने पुनः पंचायत उप चुनाव कराकर इन पदों को भरा, बावजूद इसके आज तक खरसावां पंचायत को पूर्ण अधिकार नही मिला.
टैक्स अधिक, सुविधा कम
टैक्स अधिक, सुविधा कम के फार्मूले से खरसावां पंचायत के लोग परेशान हैं. सरकार के आदेश पर लोगों से बिजली बिल, पेयजल कर, जमीन खरीद बिक्री, आवास टैक्स, टेलीफोन बिल सहित सभी सरकारी टैक्स शहरी क्षेत्र की भांति वसूले जाते हैं. लेकिन, सुविधा पंचायत स्तर की भी नहीं दी जाती है.
वर्ष 2009 में अक्षेस को किया गया था विअधिसूचित
नगर विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा जारी अधिसूचना प्रत्राक संख्या 2060 दिनांक 25 अगस्त 2009 के आधार पर सरकार ने खरसावां अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) को बिहार नगरपालिका अधिनियम-1922 (अंगीकृत) की धारा -4 (1) (ए) एवं 4 (1) (बी) तथा झारखंड शहरी क्षेत्र (मार्गनिर्देशिका निर्धारण) नीति-2006 की कंडिका-6 की अर्हताओं को पूर्ण नहीं करता है. इसी को आधार बनाते हुए झारखंड के राज्यपाल एतद द्वारा खरसावां अधिसूचित क्षेत्र समिति को विअधिसूचित कर दिया गया.
खरसावां पंचायत के लोगों की यह हैं मुख्य मांगें
अन्य पंचायतों की तरह खरसावां पंचायत को भी पूर्ण अधिकार दिया जाये. खरसावां पंचायत के बिजली उपभोक्ताओं के बिजली बिल में संशोधन किया जाये. अन्य पंचायत की तरह खरसावां पंचायत के बिजली उपभोक्ताओं से 120 रुपये कर बिजली बिल लिया जाये. सरकार मनमानी तरीके से बिजली बिल वसूली करना बंद करे. जमीन की खरीद- बिक्री के राजस्व में सरकार संशोधन करे. खरसावां पंचायत के लोगों का सर्वे कराकर बीपीएल नबंर दिया जाये. अन्य पंचायत के लोगों की तरह खरसावां पंचायत के लोगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ सरकार दे.