नई दिल्ली: सहारा मामले की सुनवाई कर रहे पटना हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं. सहारा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमे सहारा प्रमुख के सशरीर पेश नहीं होने पर बिहार, यूपी और दिल्ली पुलिस को सुब्रत रॉय को गिरफ्तार करने का आदेश जारी करते हुए 17 मई को तलब किया था.
क्या है मामला
दरअसल, सहारा के निवेशकों के मामले पर सुनवाई कर रहे पटना हाईकोर्ट ने सुब्रत राय को गुरुवार को ही पटना हाई कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन वे नहीं आए. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए फटकार लगाई. कोर्ट ने सख्त लहजे में वकील से कहा कि कौन हैं ये सुब्रत राय जो कोर्ट नहीं आ सकते हैं ? इन्हें कोर्ट आना होगा, ये देखना होगा कि लोग यहां कैसे परेशान हैं ? कोर्ट ने उन्हें शुक्रवार को 10.30 बजे सशरीर पेश होने कहा था लेकिन एक बार से राय उपस्थित नहीं हुए.
बीमारी और उम्र का दिया हवाला
सुब्रत राय की ओर से अपनी बीमारी का हवाला दिया गया है. उनकी ओर से कहा गया कि उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें वर्चुअल तरीके से उन्हें कोर्ट में पेश होने की अनुमति दी जाए. राय की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि उनकी उम्र 74 साल हो चुकी है. इसी साल जनवरी में ऑपरेशन कराया था. इस कारण फिजिकल तौर पर पेश होने से राहत दी जाए. हालांकि कोर्ट ने इस दलील को ख़ारिज करते हुए सुब्रत राय को सशरीर पेश होने कहा था. बावजूद इसके सुब्रत राय पेश नही हुए. इसके पूर्व निवेशकों पैसा नहीं लौटाने के मामले में बीते गुरुवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस संदीप कुमार ने अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया था. शुक्रवार को जस्टिस संदीप कुमार ने मेडिकल रिपोर्ट देखकर कहा कि सुब्रत राय को ऐसी कोई बीमारी नहीं है कि वे कोर्ट नहीं आ सकते. हालांकि लगातार दूसरे दिन सुब्रत राय कोर्ट में नहीं आए. जिसके बाद कोर्ट ने रॉय को गिरफ्तार कर पेश करने का आदेश जारी कर दिया.
कैसे आया नाटकीय मोड़
इधर नाटकीय घटनाक्रम उस वक्त सामने आया जब सुपीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए रॉय की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. बता दें कि सहारा- सेबी विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. सुपीम कोर्ट में मामले की सुनवाई नहीं होने के कारण निवेशकों का भुगतान प्रभावित हो रहा है. इसको लेकर देशभर के अदालतों और थानों में मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि जिस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है उस मामले में सुब्रत रॉय हाईकोर्ट को क्या जवाब देंगे !
निवेशकों का भुगतान सेबी को दिए 24 हजार करोड़ रुपए मिलने के बाद ही किया जा सकता है. क्या हाईकोर्ट सेबी से धन बगैर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दिला सकता है ? फिर सहारा पैसे कहां से और किस श्रोत से देगी, जबकि उसके सभी लेनदेन पर एम्बरगो लगा है. सहारा सूत्रों के मुताबिक इन्ही दलीलों के आधार पर रॉय को राहत मिली है. बताया गया कि देर शाम तक इसकी आधिकारिक पुष्टि सहारा के वकीलों की ओर से की जाएगी.
शोषल मीडिया के खिलाफ भड़के सहारा के कार्यकर्ता, समूह उठा सकता है कड़ा रुख
इधर पटना हाईकोर्ट का आदेश जारी होते ही शोषल मीडिया पर सहारा प्रमुख के खिलाफ बेतुके पोष्ट किए जाने लगे. यहां तक कि कुछ साइट्स ने तो सहारा प्रमुख के पटना हाईकोर्ट में हाजिर होने तक कि खबरें प्रसारित करने लगे. कुछ सहारा प्रमुख के दुबारा जेल यात्रा की तैयारी करने लगे. इसमें यूट्यूब चैनलों की भूमिका निवेशकों में भ्रम की स्थिति पैदा करती है.
मामले पर प्रबंधन का पक्ष
आवश्यक सूचना
पटना हाईकोर्ट में सहारा संबंधित चल रहे मामले को गूगल पर जितनी भी बातें बताई गई हैं वह सभी सूचनाएं गलत और झूठे हैं. कल की न्यूज़ में थी कि सहाराश्री पटना में आए हैं एवं कोर्ट के द्वारा जो बात नहीं भी कही गई उस बात को भी बढ़ा चढ़ा कर अपना टीआरपी बढ़ाने के लिए यह न्यूज़ चैनल वाले गूगल और व्हाट्सएप में डालते हैं पटना हाई कोर्ट के एक जज साहब के द्वारा सहाराश्री को कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश को आज माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा स्थगित कर दिया गया साथियों आप सबों से निवेदन है कि आप सभी सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले समाचार को देखकर निराश और दुखी ना हो चुके सहारा इंडिया परिवार आज सुप्रीम कोर्ट से और देश से एक ही निवेदन कर रही है कि हमारे जमा करता को भुगतान देने हेतु जो रकम आज ब्याज सहित 27 हजार करोड़ हो चुका उसे वापस करें एवं हम पर लगे एंबार्गो नामक प्रतिबंध को समाप्त करें ताकि जैसे हम विगत 42 वर्षों से अपने सम्मानित जमा करता को समय पर भुगतान एवं कार्यकर्ता को रोजगार देते आए हैं उसे निरंतर जारी रख सकें जो हमारे यहां की न्यायिक व्यवस्था है उसमें देर जरूर होता है लेकिन अन्याय नहीं होता है और आपके संस्था के पास पर्याप्त पूंजी और परिसंपत्ति है एवं अपने सम्मानित जमा करता और कार्यकर्ताओं के प्रति अच्छी नियत और सोच है तो हम कभी दुखी नहीं होंगे आज थोड़ी सी विपरीत परिस्थिति में हमें अपने संस्था और अपने सच्चाई वाली कार्य पर भरोसा रखते हुए अफवाह फैलाने वाले को बुलंदी के साथ जवाब दें हम सबों के महत्वपूर्ण अगली तारीख दिल्ली हाईकोर्ट में 23 मई को है जिसमें उनके द्वारा दिए गए टास्क को 95% संस्था के द्वारा पूरा करके सेंट्रल रजिस्ट्रार को समर्पित कर दिया गया है यह पूरा भरोसा है कि 23 मई को हमारा नया व्यवसाय निश्चित रूप से शुरू हो जाना चाहिए तब तक हमें संस्था द्वारा दिए गए सहायक योजना और एडवांस कार्य को करते रहना है धन्यवाद सहारा प्रणाम