सरायकेला: सरायकेला की सड़कों पर चले संभलकर, मंजिल से पहले खींच ले जाती है मौत. जी हां सरायकेला की सभी मुख्य सड़कें इन दिनों खूनी साबित हो रही हैं. इसमें चौका- कांड्रा, सरायकेला- टाटा मार्ग, सरायकेला- चाईबासा मार्ग, सरायकेला- खरसावां मार्ग और राजनगर मेन रोड भी शामिल है.
आंकड़ों पर गौर करें तो सरायकेला में जनवरी 2021 से अब तक जिले में 222 सड़क हादसे हुये. इसमें 180 लोगों की जान चली गयी है. उसके बाद भी मई महीने तक आये दिन सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है. इससे पहले भी खासकर, टाटा- कांड्रा- सरायकेला और चौका- कांड्रा- सरायकेला रोड पर हाल के महीनों में कई हादसों में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इस लिहाज से 15 महीने में जिले में मरनेवालों की संख्या दो सौ छूने के करीब पहुंच गया है. बावजूद इसके सड़क पर बेतरतीब ढ़ंग से चलती छोटी- बड़ी गाड़ियों की संख्या और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं होने की वजह से आगे भी हादसों का खतरा बना रहेगा.
*सड़क बनने के बाद भी कम नहीं हुये हादसे*
एक समय ऐसा था जब सरायकेला- कांड्रा मार्ग जर्जर अवस्था मे थी. उस दौरान भी आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती थी, जिसमें कइयों की जान जाती थी, तो कई लोग गंभीर रुप से घायल हो जाते थे. उस दौरान दुर्घटनाओं के लिए जर्जर सड़क को ही जिम्मेदार ठहाराया जाता था. फिर हालत यह हुई कि आदित्यपुर की सामाजिक संस्था जनकल्याण मोर्चा के बैनर तले स्थानीय लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन किया. यहां तक कि कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई. नतीजन आदित्यपुर- टाटा- कांड्रा फोरलेन सड़क का निर्माण हुआ. बावजूद इसके जिले में सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई है.
*जिले भर में मेन रोड पर बेतरतीब ढ़ंग से वाहन खड़ा करना भी भारी परेशानी का कारण बना हुआ है*
खासकर, सड़क किनारे बने होटलों और ढ़ाबों के सामने लाइन से भारी वाहन खड़े कर दिये जाते हैं. यह दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों के लिए बेहद घातक साबित हो रहा है. आंकड़ों की बात करें तो जिले की सड़कों पर खड़े वाहनों में ठोकर मारने से बीते 16 महीने में 98 लोगों की मौत हो चुकी है. इस तरह की अधिकांश दुर्घटनाएं टाटा- कांड्रा, सरायकेला- चाईबासा मार्ग के अलावा सरायकेला- कांड्रा, चौका- कांड्रा और राजनगर- हाता रोड पर हुई है.
इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है. यहां तक कि ट्रैफिक पुलिस और सड़क सुरक्षा समिति भी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयासरत है. इसे लेकर जिलेभर में 32 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किये गए हैं. ताकि लोग वाहन चलाते वक्त सतर्क रहें. फिर भी सड़क हादसों पर अंकुश नहीं लगना कहीं न कहीं साबित करता है कि जिला प्रशासन के अब तक के सारे उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं.
हालांकि, इसमें शक नहीं है कि कई दुर्घटनाओं के लिए वाहन चालकों की लापरवाही भी जिम्मेदार है. वहीं, ड्रंक एंड ड्राइव भी कई हादसों का मुख्य कारण साबित होता है. ऐसे में यातायात व्यवस्था को बनाये रखने के प्रति वाहन चालकों में भी जागरुकता जरूरी है. प्रशासन को भी जिले भर में बड़े पैमाने पर इस तरह का जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है. तब जाकर ही जिले में आये दिन हो रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाया जा सकता है.