शुक्रवार को जमशेदपुर वर्कर्स महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य एवं अन्य शिक्षकों द्वारा विद्या की देवी सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवलित कर किया गया.
अपने संबोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. डॉ. सत्यप्रिय महालिक ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई अंजान विभूतियों की चर्चा करते हुए कहा कि इस पर अभी शोध की आवश्यकता है, लिखे जाने की आवश्यकता है, क्योंकि रोमिला थप्पर जैसी कोई महिला इतिहासकार नहीं हुई. पुरुष एवं महिला के लेखन में दृष्टिकोण का अंतर होता ही है, दोनों अपने- अपने दृष्टिकोण से परिस्थितियों को देखते हुए लेखन करते हैं. भारतीय इतिहास में हजारों महिलाएं स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दे चुकी हैं, जिनके बारे में लोगों को अब तक पता नहीं है. अब आवश्यता इस बात की है कि उन सभी महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में नए सिरे से शोध कर दुनिया के सामने उनके योगदान को प्रस्तुत किया जाए.
इस संगोष्ठी में महिला स्वतंत्रता सेनानी भीकाजी कामा, राजकुमारी अमृत कौर, बीना दास, सुचिता कृपलानी, रानी अवंती बाई, कल्पना दत्त, मातंगी हाजरा, एवं सरोजिनी नायडू के व्यक्तित्व और उनके योगदान के बारे में स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों आकाश, श्वेता, रितेश, कंचन, रोहित, वर्षा, नवनीत, गणेश ने आलेख प्रस्तुत किये.
संगोष्ठी का संचालन एवं स्वागत भाषण इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रो. डॉ. श्वेता कुमारी ने किया, धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डॉ. नूपुर राय ने किया. इस अवसर पर इतिहास विभाग के अलावा महाविद्यालय के हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, राजनीति विज्ञान के शिक्षक एवं विद्यार्थी सम्मिलित हुए. संगोष्ठी के अंत में इतिहास विभाग के द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं के बीच प्राचार्य के द्वारा पुरस्कार वितरित किया गया.