गया: बोधगया को भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि कहा गया है. क्योंकि राजकुमार सिद्धार्थ को इसी बुद्ध भूमि पर पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. जिसके बाद उन्होंने पूरी दुनिया को मध्यम मार्ग का रास्ता दिखाया था.
बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए के लिए बोधगया सबसे पवित्र तीर्थ स्थल के रुप में प्रख्यात है. बौद्ध श्रद्धालु अपने जीवन में एक बार बोधगया आना जरूर चाहता है और यहां आकर अपने आप को धन्य मानते है. भगवान बुद्ध के उपदेशों का अनुसरण आज भी विश्व के कई देशों के बौद्ध धर्मगुरु और श्रद्धालु कर रहे हैं. यही वजह है कि बोधगया में सैकड़ों की संख्या में विभिन्न देशों के मौनेस्ट्री हैं. जो विभिन्न प्रकार के समाजसेवा में लगे हुए हैं.
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इसी तरह एक बुजुर्ग बौद्ध भिक्षु विगत 35 सालों से भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि बोधगया में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. इंग्लिश मीडियम के माध्यम से वे गरीब और दलित समाज के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दान दे रहे हैं.
भगवान बुद्ध का दर्शन करने कभी भंते अनिरुद्ध बोधगया आये तो यहीं के होकर रह गए. वे मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश राज्य के लखनऊ शहर के रहने वाले हैं. बोधगया में ही उन्होंने छोटे से भूखंड में आशियाना बनाया और गरीब-दलित बच्चों को शिक्षा देने लगे. पिछले 35 साल से इस काम मे लगे यह बौद्ध भिक्षु अब काफी वृद्ध हो चुके हैं. पर इनका शिक्षा दान अभी भी बदस्तूर जारी है.अपने आशियाना को इन्होंने वन क्षेत्र में तब्दील कर दिया है. यहां कंक्रीट का कोई बड़ा भवन नहीं है और ना ही वातानुकूलित कमरे हैं. बल्कि तरह-तरह के पौधे, फूल, पत्तियां और छोटा सा तालाब होने के कारण पूरा कैम्पस प्राकृतिक छटा बिखेरती है. करकट से बने छोटे-छोटे कमरे हैं. यही पर वे स्वयं रहते भी हैं और बच्चों को पढ़ाते भी हैं. इनका फ्री स्कूल काफी चर्चित है. दूसरे देशों के श्रद्धालु जो भगवान बुद्ध का दर्शन करने बोधगया पहुचते हैं वे एक बार इस स्कूल में भी विजिट करना चाहते हैं. भगवान बुद्ध के करुणा, प्रेम, भाईचारा और मैत्री के विचार यहां धरातल पर दिखती है.
बौद्ध भिक्षु भंते अनिरुद्ध बताते हैं कि 35 वर्षों से पंचशील पब्लिक स्कूल चला रहे हैं. इस स्कूल में बोधगया के स्लम क्षेत्र के गरीब और दलित बच्चों को यहां मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. बच्चों को इंग्लिश मीडियम से स्वयं पढ़ाते हैं. साथ ही यहां पढ़ने वाले बच्चों को ड्रेस, पठन सामग्री व खाने-पीने की निशुल्क व्यवस्था है. वर्तमान समय में एक सौ बच्चे यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इससे पहले हजारों बच्चे यहां से पढ़ाई पूरी कर निकल चुके हैं. यहां आठवीं तक की पढ़ाई होती है. उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध से प्रेरित होकर बोधगया में गरीब बच्चों को शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं. उनका कहना है कि आगे चलकर अनाथालय खोलने की इच्छा है. ताकि जिन बच्चों के माता-पिता नहीं है, उन्हें यहां रखकर शिक्षा दे सकें और उनके भविष्य को संवार सकें.
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भंते अनिरुद्ध (बुजुर्ग बौद्ध भिक्षु)
वही यहां पढ़ने वाले छठी कक्षा के छात्र रोशन कुमार बताते हैं कि यहां इंग्लिश मीडियम से नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है. गुरुजी के अलावा दो अन्य शिक्षक हैं, जो यहां पढ़ाते हैं. यहां पढ़कर काफी अच्छा लगता है.
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रौशन कुमार, छात्र.
वही वर्ग 4 की छात्रा अनोखी कुमारी बताती है कि यहां पढ़ने से काफी खुशी होती है. रह- रहकर विदेशी लोग भी आते हैं और कॉपी, पेंसिल, किताब देते हैं. यहां पढ़ना अच्छा लगता है. बड़े होकर डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहती हूं.
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अनोखी कुमारी, छात्रा.
गया से प्रदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट