गया: फ्रांस के कॉन्सुलेट जेनरल (कोलकाता) Mr.DIDIER TALPAIN भगवान बुद्ध की पावन भूमि ज्ञान भूमि बोधगया पहुंचे। जहां उन्होंने बोधगया के बगहा गांव स्थित फ्रांस की समाजसेविका डॉ. जेनी पेरे द्वारा संचालित फ्री बोर्डिंग स्कूल का किया निरीक्षण। बोधगया पहुचने पर फ्रांस के कॉन्सुलेट जेनरल का गर्मजोशी और भारतीय परंपरा के अनुसार स्वागत किया गया।
मम्मी जी एजुकेशनल वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा संचालित स्कूल के बच्चों द्वारा फूलों की बारिश कर उनका स्वागत किया। उन्होंने स्कूल की गतिविधियों को बारीकी से निरीक्षण किया। मालूम हो कि लगभग 20 वर्षों से फ्रांस की समाजसेविका डॉ. जेनी पेरे के द्वारा बोधगया में गरीब व दलित बच्चों के लिए फ्री स्कूल चलाया जाता है। जिसमें बच्चों को रहने, खाने, पाठ्य सामग्री तथा वस्त्र इत्यादि भी मुफ्त में मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा बोधगया के आसपास क्षेत्रों में कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं भी इनके द्वारा चलाई जाती है।
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इस दौरान फ्रांस के कांसुलेट जनरल ने डॉ. जेनी पेरे उर्फ मम्मी जी के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मम्मी जी विगत 20 सालों से भी ज्यादा समय से बोधगया में रहकर समर्पित भाव से बच्चों की सेवा कर रही है। यह बहुत ही सराहनीय कार्य है। उन्होंने बच्चों के भविष्य को संवारने का कार्य किया है। इस तरह के कार्य के लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। साथ ही उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए यूक्रेन-रूस युद्ध तथा भारत फ्रांस संबंधों पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हो रही जंग एक निंदनीय घटना है। इससे सभी को नुकसान है। शांति के लिए सभी लोगों को मिलकर पहल करनी चाहिए। इससे सभी को नुकसान है। वही भारत और फ्रांस के रिश्ते पर उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते काफी अच्छे और मजबूत है।
बोधगया भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि है, यहां आकर अपने आप को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। पूरी दुनिया में बोधगया से भगवान बुद्ध ने शांति का संदेश दिया था, ऐसे में बोधगया की महत्ता काफी बढ़ जाती है।
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Mr. DIDIER TALPAIN (कॉन्सुलेट, फ्रांस)
वही इस मौके पर उपस्थित फ्रांसीसी समाजसेविका डॉ. जेनी पेरे उर्फ मम्मी जी ने कहा कि वे काफी खुश हैं, क्योंकि उनके द्वारा चलाए जा रहे हैं गरीब छात्रों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को देखने कॉन्सुलेट जनरल यहां पहुंचे हैं। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य को संवारने को लेकर हमलोग काफी मेहनत करते हैं और इसका सकारात्मक पहल भी देखने को मिलता है।
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डॉ. जेनी पेरे (फ्रांसीसी- सामाजिक सेविका)
गया से प्रदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट