क्या कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्विटर का बायकॉट कर दिया है? ये सवाल इसलिए क्योंकि राहुल का ट्विटर अकाउंट (Twitter) रिस्टोर हुए हफ्तेभर से ज्यादा समय बीत गया है, लेकिन उन्होंने एक भी ट्वीट नहीं किया है. सवाल इसलिए भी उठता है क्योंकि राहुल फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लगातार एक्टिव हैं. दरअसल, राजधानी दिल्ली (Delhi) में दलित बच्ची के साथ हुए गैंगरेप (Gangrape) और मर्डर (Murder) के मामले में राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया था. इस ट्वीट में पीड़िता के परिवार की पहचान उजागर हो गई थी. जिसके बाद ट्विटर ने उनके अकाउंट को लॉक कर दिया था.
14 अगस्त को राहुल का अकाउंट रिस्टोर किया गया था, वो भी तब जब खुद पीड़िता के परिवार ने आकर कहा था कि उन्हें राहुल के ट्वीट से कोई परेशानी नहीं है. लेकिन उसके बाद भी राहुल की ओर से एक भी ट्वीट नहीं किया गया है. राहुल के अकाउंट से आखिरी ट्वीट 6 अगस्त को किया गया था. सूत्रों ने आज तक को बताया कि ट्विटर इंडिया (Twitter India) के अधिकारी मामले को सुलझाने और राहुल को समझाने की कोशिश में जुटे हैं. चुनावी राज्य पंजाब से भी बड़ी खबर सामने आयी है. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत हो गई है. तीन मंत्री और 20 कांग्रेस विधायक कैप्टन सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा के घर मिले हैं.
आज ही कैप्टन के ख़िलाफ़ कांग्रेस का धड़ा सोनिया गांधी को मिलने दिल्ली जाएगा. कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर रंधावा, सुखबिंदर सरकारिया, तृप्तरजिंदर बाजवा, चरनजीत चन्नी और महासचिव परगट सिंह दिल्ली जाएंगे. खबर है कि पांच से सात मंत्री इस्तीफा भी दे सकते हैं. जानकारी के मुताबिक तृप्त राजिंदर बाजवा के घर पर तीन मंत्री और 20 कांग्रेस विधायकों की यह बैठक करीब दो घंटे तक चली. इस बैठक में चर्चा हुई कि कांग्रेस सरकार का प्रदेश में प्रदर्शन अच्छा नहीं है. पार्टी पहले जहां खड़ी थी आज भी वहीं खड़ी है. हम चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, ऐसे में लोगों में सरकार के खिलाफ नाराजगी है.
इसके साथ ही बैठक में कहा गया कि कांग्रेस आलाकमान की ओर से जो 18 सूत्री कार्यक्रम रखे गए थे, उनमें सिर्फ चोटे मोटे काम ही हुए हैं. बड़े स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है. इसलिए पांच सदस्यीय टीम बनी है, इसमें चार कैबिनेट मंत्री हैं और एक महासचिव परगट सिंह हैं. यह लोग सोनिया गांधी से मुलााकात कर उन्हें हालात की जानकरी देंगे. आज की बैठक के कैप्टन अमरिंदर सिंह के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. गेंद एक बार फिर से कांग्रेस आलाकमान के पाले में आ गयी है. क्या चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान कैप्टन को कुछ और वक्त देगा या फिर कोई दूसरा मुख्यमंत्री बनाकर उन कामों को करना चाहेगा, जिसके दम कर 2022 के चुनाव में जनता के बीच जाया जा सके. पंजाब के जानकार इस बगावत को नवजोत सिंह सिद्धू से अलग हटकर देख रहे हैं. जानकारों की मानें तो सिद्धू के अलावा कैप्टन की कैबिनेट में ही एक ऐसा धड़ा है जो उनके खिलाफ है. यह धड़ा पहले भी कैप्टन का विरोध कर चुके हैं.
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