ईचागढ़ (Bidhyut Mahato) कौन कहता है, कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो… इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है सरायकेला- खरसावां जिला के तिरुलडीह के एएसआई रंजीत प्रसाद ने. कभी घोर नक्सल प्रभावित थानों में शुमार तिरूल्डीह की हवा बदलने लगी है.
आपको याद दिला दें कि यह वही थाना है जिसके माथे पर एक- दो नहीं बल्कि छह- छह पुलिसकर्मियों के हत्या का कलंक लग चुका है. नक्सलियों ने पुलिस कर्मियों की कुकड़ू हाट में बेरहमी से हत्या कर डाली थी. मगर अब यहां की फिजा बदलने लगी है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि आप अपनी आंखों से देखें.
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ये है तिरुलडीह थाना परिसर. जहां बेकार और बंजर करीब दो एकड़ भूमि पर हरियाली छाई हुई है. कल तक जिस जमीन पर घास फूस उगे हुए थे. आज वहां से सोंधी- सोंधी खुशबू आ रही है. थाना परिसर के बागान में गोबी, पालक, आलू, प्याज, बैगन, टमाटर की खेती हो रही है. यानी आम के आम गुठलियों के दाम. इसे कोई माली सिंचित नहीं कर रहा है, बल्कि थाने में पदस्थापित अधिकारी और जवान अपने हाथों से सींच रहे हैं.
एएसआई रंजीत प्रसाद ने बताया कि यहां के किसान बंजर भूमि का हवाला देकर खेती करने से घबराते थे, मगर हम लोगों ने यहां ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग कर खेती किया है. दो साल तक मेहनत कर खेती को तैयार किया जो तैयार हो चुके हैं. आज आसपास के ग्रामीण हम लोगों से खेती की कला सीखने आते हैं और सहयोग करते हैं.
उन्होंने बताया कि यदि क्षेत्र के युवा जागरूक होकर यहां की मिट्टी में मेहनत करें तो वे अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. यहां की भूमि उपजाऊ बन सकती है. रबी फसल भी किसान यहां से प्राप्त कर सकते हैं.
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रंजीत प्रसाद (एएसआई)
वहीं रंजीत प्रसाद को नए थानेदार का भी पूरा सहयोग मिल रहा है. नए थानेदार रितेश कुमार ने जब से यहां का पदभार ग्रहण किया है थाने की रौनक बदलने लगी है. इससे पूर्व के थानेदार से लोग मिलने से घबराते थे. मगर नए थानेदार चंद महीनों में ही लोगों के दिलों में राज करने लगे हैं.
Reporter for Industrial Area Adityapur