सरायकेला :(Pramod singh) परंपरागत रथ यात्रा के तहत गुरुवार को बाऊड़ा घूरती रथ यात्रा करते हुए महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा व बड़े भाई बलभद्र के साथ दूसरे दिन श्री मंदिर पहुंचे. कालूराम चौक पर रात्रि विश्राम करने के बाद गुरुवार को मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान के साथ स्वागत महाप्रभु सिंहासन पर विराजमान हुए. इस अवसर पर भक्तों ने महाप्रभु का दर्शन कर पूजा-अर्चना की
इसके बाद देर शाम महाप्रभु श्री जगन्नाथ चातुर्मास शयन के लिए चले गए. बताया गया कि देव प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी के अवसर पर चातुर्मास शयन से महाप्रभु जगेंगे और भक्तों को दर्शन देंगे. ज्ञात हो कि चातुर्मास शयन के शुरू होते ही धार्मिक मान्यता के अनुसार सभी प्रकार के मांगलिक कार्य स्थगित रखे जाएंगे. ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास शयन के दौरान भगवान श्री हरि विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के दरबार में शयन करते हैं. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र,
सुभद्रा व सुदर्शन को चढ़ाया छप्पन भोग
गुरुवार की शाम प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ श्रीमंदिर में प्रवेश किए. इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ धार्मिक रश्मों को निभाते हुए श्रीमंदिर स्थित रत्न सिंहासन पर महाप्रभु को विराजमान किया गया. इस दौरान महाप्रभु समेत भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा व सुदर्शन को छप्पन भोग का चढ़ावा चढ़ाया गया. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के विग्रहों को पुरोहित पंडित समेत सेवायतों ने मंदिर के अंदर प्रवेश कराया. गुरुवार की शाम सबसे पहले सुदर्शन, इसके बाद बलभद्र और सुभद्रा माता की प्रतिमा व अंत में प्रभु जगन्नाथ को मंदिर में प्रवेश कराया गया.
श्रीमंदिर पहुंचने के बाद चतुर्था मूर्ति को रत्न सिंहासन पर विराजमान कर पूजा-अर्चना की गई. इसके साथ ही बाहुड़ा यात्रा संपन्न हुआ. ऐसी मान्यता है कि बाहुड़ा यात्रा के दौरान प्रभु जगन्नाथ के दर्शन मात्र से ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. निभाया गया। मअधरपोणा का भोग भी लगाया गया और श्रद्धालुओं के बीच भोग का वितरण किया गया.
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