राजनगर (Pitambar Soy) शिक्षा विभाग उगाही को लेकर एक बार फिर चर्चा में है. कुछ दिन पहले पारा शिक्षकों की सेवा संपुष्टि के नाम पर उगाही का खेल चला. अब एमडीएम योजना मद में व्यय की गई राशि की ऑडिट को लेकर फिर से खूब उगाही का धंधा चला. शिक्षा विभाग में ऑडिट करने आये अंकेक्षकों ने शिक्षकों से दो दिनों में लाखों की उगाही कर चलते बने.
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ज्ञात हो कि स्टेट से एमडीएम योजना मद में वित्तीय वर्ष 2018-19, 2019-20 एवं 2020-21 की व्यय की गई राशि का समाजिक अंकेक्षण किया जा रहा है. परंतु अंकेक्षण के नाम पर अंकेक्षक पीयूष पांडे एवं अमर कुमार शिक्षकों से लाखों की वसूली कर चलते बने. इसमें बीईईओ, बीपीओ समेत कुछ शिक्षकों का भी दोनों अंकेक्षकों को शाह प्राप्त था. दोनों अंकेक्षकों ने केवल दो दिनों के अंदर ही बीआरसी में बैठकर प्रखंड के 223 स्कूलों में संचालित एमडीएम योजना मद का अंकेक्षण कर लिया. लेकिन सामाजिक अंकेक्षण सिर्फ कागजों में ही सीमित रह गया. जमीनी रिपोर्ट नहीं ली गई.
इधर सामाजिक अंकेक्षण को आये अंकेक्षक पीयूष पांडे एवं अमर कुमार ने बताया कि वे शिक्षकों से एमडीएम मद में 2019 से 2021 के बीच प्राप्त एमडीएम की राशि, व्यय की गई राशि और बच्चों उपस्थित पंजी देखा जा रहा है. इसके लिए एक फॉर्मेट में भराया जा रहा है. एमडीएम योजना में अंकेक्षण नाम पर कैमरे के सामने उगाही की बात पर दोनों अंकेक्षक टाल मटोल जवाब देते रहे और पैसे उगाही की बात को अफवाह बताते रहे. हालांकि दोनों ने शिक्षकों से एमडीएम में गड़बड़ी को अंकेक्षण में सही दिखाने के नाम पर पैसे वसूलने का काम किया.
ऐसे में इस तरह के भ्रष्ट ऑडिटरों से सरकार को जमीनी रिपोर्ट सही रूप से मिलना संभव नहीं लगता. पैसे उगाही कर रिपोर्ट तैयार करने वाले ऐसे भ्रष्ट ऑडिटरों पर भी सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए. वहीं शिक्षक विभाग में अंकेक्षण के नाम पर हुए उगाही को लेकर कहीं न कहीं शिक्षक भी उतने ही दोषी हैं. चूंकि एक हाथ से ताली नहीं बजती. शिक्षकों ने भी एमडीएम में अपनी गड़बड़ी छुपाने के लिए ऑडिटरों को रुपये थमा कर एमडीएम रिपोर्ट सुधार लेना चाहते हैं. पुख्ता सूत्रों से मालूम चला कि प्रखंड के 223 विद्यालयों में संचालित एमडीएम योजना के लिए प्रत्येक विद्यालय से प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के लिए 3000 रुपये एवं उत्क्रमित हाईस्कूल से 3500 रुपये वसूली हुई. इस वसूली के धंधे में कुछ शिक्षक भी सम्मिलित हैं.
वहीं बीईईओ वसुन्धरा कुमारी ने ऑडिट के नाम पर चल रही उगाही से खुद को अनभिज्ञ बताया. लेकिन एक ही छत के नीचे उगाही का खेल चले और बीईईओ को पता भी न चले कैसे हो सकता है ? सोचने वाली बात है.
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Reporter for Industrial Area Adityapur