खरसावां: रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. रमजान महीना के दूसरे जुमे की नमाज खरसावां के विभिन्न मस्जिदों में सादगी और अकीदत से के साथ अदा की गई. अधिकत्तर नमाजी सफेद टोपी, कुर्ता- पायजामा पहने अकीदतमंद अल्लाह के आंगन में पहुंचे. सिर झुकाया. हाथ फैलाए और कौम की खुशहाली व अमन- चौन की दुआएं मांगी.
शुक्रवार को खरसावां के जामिया मस्जिद कदमडीहा, मस्जिद- ए- बेलाल कदमडीहा, मदीना मस्जिद बेहरासाई, मस्जिद निजामुदीन गोन्दपुर स्थित मस्जिद में मुस्लमानों ने जुम्मे पर नमाज अदा की. नमाज से पहले मदीना मस्जिद बेहरासाई के मौलाना मो0 आसिफ इकबाल रजवी ने कहा कि रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. जिसमें तीस या उनतीस दिनों तक रोजे रखे जाते हैं.
इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है. अशरा अरबी का दस नंबर होता है. इस तरह रमजान के पहले दस दिन (1- 10) में अशरा, पहला रहमत के होते हैं. दूसरे 10 दिन (11- 20) में दूसरा अशरा गुनाहों से माफी का. और (21- 30) में तीसरा अशरा जहन्नम से निजात का होता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार हर मुसलमान के लिए जुम्मे का नमाज जरूरी है. साथ ही रमजान के दौरान पड़ने वाले जुम्मे का नमाज को तो और भी अधिक अहमियत दी गई है. वही इस्लाम में जुम्मे को अल्लाह के दरबार में रहम का दिन माना जाता है.
Reporter for Industrial Area Adityapur