खरसावां: चिकित्सक को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है. इसका जीता जागता उदाहरण खरसावां के डॉ रंगाधर मिश्रा हैं. क्षेत्र में उन्हें ईश्वर के दूसरे रूप में जाना जाता है. कारण कि वे पिछले 42 वर्षो से गरीबों की सेवा में समर्पित है. सुबह हो या शाम उनके दरवाजे से कोई जरूरतमंद गरीब निराश नहीं लौटता. पूरी तन्मयता से उसका इलाज करते हैं.
डॉ. मिश्रा ने समाज सेवा के लिए चिकित्सा को माध्यम बनाया है. सुबह आंख खुलने के बाद वे अपने दवा की दुकान का कमान संभाल लेते हैं. यह क्रम पूरे दिन चलता है. जब तक मरीज आते हैं, तब तक डॉ. मिश्रा पूरी सक्रियता से उन्हें सेवा देते हैं. इस दौरान वे गरीबों को नहीं भूलते. चिकित्सा सुझाव देने के अलावा वे जरूरतमंदों को दवा देते हैं. खरसावां का एक छोटा सा कस्बा परंतु उसके चारों ओर सैकड़ों बड़े गांव भी हैं. जनजातीय बहुल इस इलाके में गरीबी बेकारी और अंधविश्वास से लबरेज जनजाति लोग, जिसमें मजदूर तबके के लोगों की बहुतायत है निवास करते हैं.
कुपोषण एवं गंदगी के कारण बीमारी और इलाज के अभाव में मौत उसकी नियति बन गई है. ऐसे में इन लाचार और गरीब लोगों के लिए मसीहा के रूप में डॉ मिश्रा प्रसिद्ध हो गए हैं. चिकित्सक रंगाधर मिश्रा दिखने में कमजोर है परंतु स्वास्थ्य कार्यों वाले 90 वर्ष के रंगाधर मिश्रा पिछले 42 वर्षों से स्वास्थ सेवा के क्षेत्र में समाज को अपनी सेवा दे रहे हैं. इनके पास दिखाने के लिए कोई बड़ी डिग्री तो नहीं है. परंतु अनुभव ऐसा है कि डायग्नोसिस के जरिये अच्छे- अच्छे डॉक्टर के भी कान काट दे. खरसावां बाजार के बीच अपने मकान में उनकी एक छोटी सी दवा दुकान है. जहां वे प्रतिदिन 100 के लगभग मरीजों को चिकित्सा सेवा प्रदान करते हैं. ग्रामीणों के बीच रोगी डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध चिकित्सक का कोई स्थायी फीस नहीं है. स्वेच्छा से कुछ भी दे दिया तो रख लिया वरना जाने दिया. भाजपा चिकित्सा मंच से जुड़े डॉ मिश्रा का कहना है कि जनजातीय बहुल क्षेत्र के लोग गरीबी और अशिक्षा के कारण ही रोग ग्रस्त होते हैं.
पोस्टिक आहार के अभाव में खरसावां के बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदूषित जल पीने के कारण लोग प्राइम मलेरिया, डायरिया जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं. सस्ता एवं बेहतर इलाज के लिए उनकी छोटी सी क्लीनिक मरीजों से भरी रहती है. डॉक्टर मिश्रा सन 1981 से खरसावां में गरीबों का इलाज कर अपनी सेवा देते आ रहे हैं. इनसे खरसावां, कुचाई, खूंटपानी सहित कोल्हान प्रमंडल क्षेत्र के इलाज कराने वाले गरीबों में जनजातीय बहुल क्षेत्र के मरीज अधिक है.
झारखंड के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दिनेश षाड़ंगी ने उन्हें प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया था. परंतु कई बार लिखित आवेदन देने के बावजूद राज्य सरकार इन्हें किसी सम्मान देने से परहेज करती रही है. जबकि श्री मिश्रा भारत सरकार के जनजातीय केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यक्षेत्र में बरसों से सेवा देते आए हैं.
मानव जीवन की सेवा सबसे बड़ा धर्म-डॉ मिश्रा
चिकित्सक डॉ रंगाधर मिश्रा ने कहा कि वे दूसरों का दर्द जानकर अपने को रोक नहीं पाते. मानव जीवन की सेवा सबसे बड़ा धर्म है. इसी धर्म का पालन कर रहे हैं. इसमें मेरा कोई योगदान नहीं है. ऊपर वाले व माता- पिता की प्रेरणा ने मुझे यह रास्ता दिखाया है. वे कहते हैं कि मेरी चिकित्सा से किसी को राहत मिल जाए यही मेरी सफलता है. कहते हैं कि गरीबो का उपचार करने में बहुत आत्मसंतुष्टि मिलती हैं. उनका मानना है कि चिकित्सा ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जा सकता है. उनका दरवाजा 24 घंटे गरीबो व जरूरतमंदों के लिए खुला है.
Reporter for Industrial Area Adityapur